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उत्तर प्रदेश

बांगरमऊ उपचुनाव पर विशेष : जनता इसबार अखिलेश यादव के साथ-उदयराज यादव

बांगरमऊ उपचुनाव पर विशेष : जनता इसबार अखिलेश यादव के साथ-उदयराज यादव
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-बांगरमऊ में सेक्टर प्रभारियों की बैठक में कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र।

-केंद्रीय चुनाव कार्यालय बांगरमऊ में कार्यकर्ताओ को किया संबोधित।

-बांगरमऊ जातिवाद धर्मवाद से ऊपर उठ करेगा विकास और तरक्की को वोट।

#Unnao -प्रदेश की जनता भाजपा की जनविरोधी नीतियों से ऊब चुकी है,दलित पिछड़ों के साथ अन्याय करने वालों के साथ सरकार खड़ी है।बहन बेटियों के साथ दिनदहाड़े छेड़छाड़ की घटनाएं सरकार की असफलता की कहानी बयां कर रही है।किसान खाद के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है।व्यापारी,किसान,मजदूर, छात्र,नौजवान सरकार की नीतियों से ऊब चुके हैं।ऐसे में प्रदेश की जनता के पास सपा के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।बहुजन समाज पार्टी भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रही है।यह बातें सेक्टर प्रभारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक उदयराज यादव ने कही।

उपचुनाव बांगरमऊ में धीरे धीरे सरगर्मी बढ़ रही हैं।प्रमुख राजनीतिक दल भी से जनता को रिझाने के लिए नए नए वादों के साथ सड़को की खाक छान रहे हैं।प्रदेश का राजनीतिक विपक्ष सपा ने इस बार पिछड़ी जाति के सुरेश पाल पर दांव लगाया है।समाजवादी पार्टी की एक बड़ी टीम बांगरमऊ में कैम्प कर चुनाव मैनेज कर रही है।कई एमएलसी, पूर्व मंत्री,पदाधिकारी सहित पूर्व विधायक चुनाव में सपा का परचम लहराने के लिए कार्यकर्ताओ को नयी तैयारी के साथ साइकिल चलाने का गुरु मंत्र दे रहे हैं।ऐसे में भाजपा भी अपनी पूरी जिला कार्यकारिणी के साथ बांगरमऊ की सीट बचाने के साथ ही अपनी लोकप्रियता को बचाने के लिए प्रयासरत है तो सपा बांगरमऊ उप चुनाव जीत कर जिले में अपना खाता खोलने के साथ ही 2022 के लिए आत्मविश्वास वापस लाने का प्रयास कर रही है।

क्यों रखती है बांगरमऊ सीट सपा भाजपा के लिए विशेष महत्व

बांगरमऊ सीट से भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर जीत कर पहली बार बांगरमऊ में कमल खिलाने में सफल रहे थे।लेकिन रेप के बहुचर्चित मामलें में कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जाने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता रद्द हो गई थी।जिसके बाद खाली हुई सीट पर हो रहा उपचुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।जबकि इसके पहले इस सीट सपा के बदलूँ खा विधायक थे।लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की आंधी में जनपद की सभी छः सीटों में से 5 भजपा तो 1 बसपा के खाते में गयी थी।इस बार सपा का गढ़ माने जाने वाले उन्नाव में सपा का खाता नहीं खिला था।इसलिए सपा भी बांगरमऊ किसी भी कीमत पर जीत कर जिलें में खोई अपनी लोकप्रियता वापस पाना चाहती हैं।इसके अलावा सपा के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र यादव की परीक्षा के रूप में भी यह सीट देखी जा रही है।

बांगरमऊ सीट पर जातिगत समीकरण

बांगरमऊ सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 58 हजार, पाल 38 हजार, कुरील 34 हजार, लोध / निषाद 32 हजार, पासी 26 हजार, काछी 24 हजार, ब्राह्मण 22 हजार, यादव 20 हजार, ठाकुर 17 हजार है।

यहां हर विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ ही विधायक भी बदलते रहे.बांगरमऊ सीट में जनता के अपने मुद्दे हैं।कोई टूटी सड़क से परेशान हैं, तो कोई बिजली पानी के लिए किसान अन्ना जानवरों और फसल का सही मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं.वहीं बेरोजगार युवा भी अपना दर्द बयां कर रहे हैं और नौकरी की मांग कर रहे हैं.संविदा शिक्षक चुनाव में इसी को अपना मुद्दा मान रहे हैं.जबकि क्राइम रेट को लेकर भी लोगों में नाराजगी है.सपा बीजेपी की बराबर टक्कर दिख रही ही

है।

जहाँ उपचुनाव के माध्यम से सभी राजनीतिक दल जनता के मूड को भांपने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं।प्रदेश में 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव 2022 के सेमीफाइनल के रूप में देखें जा रहे हैं।जिसमे भाजपा के सामने अपनी लोकप्रियता बचाने की चुनौती है तो सपा अराजकता,कानून व्यवस्था,महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा से जनता का मोह भंग बता रही है।वही बसपा भी अपने आप को किसी मामलें मे कम नही आंक रही है तो कांग्रेस को सड़कों पर कार्यकर्ताओ के लिए लाठियां खाने वाली प्रियंका के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की जनता से नई उम्मीद जगी है।लेकिन इसकी सच्चाई आने वाली 10 नवंबर को ही पता चलेगी।

रिपोर्ट- सुमित यादव,उन्नाव

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