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यरुशलम को अमेरिकी मान्यता: भारत ने कहा फिलीस्तीन पर रूख स्थिर, किसी तीसरे देश से प्रभावित नहीं

यरुशलम को अमेरिकी मान्यता: भारत ने कहा फिलीस्तीन पर रूख स्थिर, किसी तीसरे देश से प्रभावित नहीं
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अमेरिका के यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने पर भारत ने कहा कि हमारी स्थिति फिलीस्तीन पर स्थिर और स्वतंत्र है। भारत का कहना नजरिए और विचार किसी तीसरे देश के द्वारा तय नहीं हो सकते हैं। ट्रंप के इस ऐलान को पश्चिम एशिया में जारी शांति के प्रयासों को बढ़ा झटका लग सकता है। ट्रंप के इस ऐलान के बाद इस क्षेत्र में अशांति बढ़ने की आशंका जताई। यरुशलम मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए एक पवित्र जगह है।
फिलीस्तीन को मान्यता देने वाला पहला देश भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'फिलीस्तीन पर भारत का रुख स्थिर है। यह रुख भारत के नजरिए और हितों से तय होता है न कि किसी तीसरे देश की ओर से तय किया जाएगा।' रवीश कुमार अमेरिका की ओर से उठाए गए एतिहासिक कदम से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। भारत दुनिया का पहला ऐसा गैर-अरब देश है जिसने फिलीस्तीन को मान्यता दी हुई है। रवीश कुमार ने कहा कि फिलीस्तीन पर भारत का रख उसके अपने विचारों और हितों के अनुरूप है और किसी तीसरे देश के रख से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए बुधवार रात ऐलान किया कि उनका देश यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है।

ट्रंप ने पूरा किया चुनावी वादा
ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपने अभियान में इसका वादा किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में एक कैबिनेट बैठक के दौरान कहा, यह निर्णय लंबे समय से बकाया था। व्हाइट हाउस से एक टीवी संबोधन में अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप जेरुशलम को इजरायल की राजधानी मानते हैं। वह विदेश मंत्रालय को आदेश देंगे कि अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम लाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। ट्रंप ने साल 2016 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान दूतावास शिफ्ट करने का वादा किया था। हालांकि इस साल उन्होंने एक खास प्रावधान के लिए दस्तखत किए जिसके तहत दूतावास को शिफ्ट करने पर छह महीने के लिए रोक लग गई। ट्रंप के मुताबिक ऐसा करके वह सिर्फ अपने चुनावी वादे को पूरा कर रहे हैं। प का यह ऐलान इजरायल और इसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू को भी काफी खुश करने वाला है। नेतन्याहू, ट्रंप के सबसे बड़े समर्थकों में से एक है।
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