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विजय माल्या के वकीलों ने कोर्ट में कहा-भारत द्वारा दिए गए साक्ष्य नगण्य

विजय माल्या के वकीलों ने कोर्ट में कहा-भारत द्वारा दिए गए साक्ष्य नगण्य
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शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों ने मंगलवार को लंदन के स्थानीय कोर्ट में उनका पुरजोर बचाव किया। वकीलों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा माल्या के खिलाफ दायर धोखाधड़ी के मामले के समर्थन में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। भारत में नौ हजार करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी तथा धनशोधन मामले में वांछित माल्या वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में मंगलवार को फिर पहुंचा। बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी की अगुआई में उसकी टीम ने दलील दी कि धोखाधड़ी मामले के पक्ष में सबूत नहीं हैं।
मामले की सुनवाई के पहले दिन भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने जोर दिया था कि माल्या को धोखाधड़ी के मामले में जवाब देना है।मोंटगोमरी ने दावा किया कि सीपीएस द्वारा भारत सरकार के निर्देश पर प्रस्तुत किए गए साक्ष्य नगण्य हैं। सरकार के पास इस तर्क के समर्थन में कोई भरोसेमंद मामला नहीं है कि माल्या द्वारा लिया गया कर्ज धोखाधड़ी था और उसका ऋण वापस करने का कोई इरादा नहीं था। माल्या के वकीलों ने भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया और कहा कि इस जांच एजेंसी पर राजनीतिक दबाव रहता है।
इससे पहले सीपीएस ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान माल्या पर तीन स्तर पर बेईमानी करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि सबसे पहले बैंकों से ऋण लेने के लिए गलत प्रस्तुति की गई, उसके बाद धन का दुरुपयोग हुआ और अंत में बैंकों द्वारा ऋण वापस मांगे जाने पर भी गलत कदम उठाए गए। सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने कहा, एक ईमानदार आदमी की तरह व्यवहार करने या करारनामे के हिसाब से काम करने के बजाय वह बचाव के प्रयास करते रहे। भारत सरकार ने कहा है कि एक अदालत द्वारा यह निष्कर्ष निकालने के पर्याप्त कारण हैं कि बैंकों के कर्ज धोखाधड़ी की जद में थे और आरोपी का इनके भुगतान का कभी इरादा नहीं था।
सीपीएस ने इससे पहले माना था कि बैंकों द्वारा कर्ज को मंजूरी देते समय आंतरिक प्रक्रियाओं में कुछ अनियमितताएं हुई होंगी। लेकिन इस मुद्दे पर भारत में बाद में सुनवाई होगी। मामले में जोर माल्या के आचरण तथा बैंकों को गुमराह करने एवं कर्ज राशि के दुरुपयोग पर है। माल्या को स्कॉटलैंड यार्ड ने इस साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया था। वह 6.5 लाख पौंड की जमानत पर बाहर है। इस दौरान माल्या खुद ही मार्च 2016 से भारत से बाहर ब्रिटेन में रह रहा है। न्यायधीश ने मामले के अंत में यदि प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला दिया तब ब्रिटेन के गृहमंत्री को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश जारी करना होगा। हालांकि, मामला खत्म होने से पहले ब्रिटेन की ऊपरी अदालतों में कई अपीलों से भी गुजर सकता है।
भारतीय जेलों के हालात रूस से बदतर
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में शराब कारोबारी विजय माल्या की प्रत्यर्पण सुनवाई में भारत की जेल प्रणाली की तुलना रूस की जेलों के हालात से हुई। माल्या के बचाव दल ने अपनी दलीलों में यह मुद्दा उठाया। बचाव पक्ष ने जज एम्म आर्बुथनॉट से कहा, भारत में जेलों में सुरक्षित हालात पर भारतीय अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासनों के सही से अनुपालन की कोई प्रणाली नहीं है।
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