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आतंकियों के लिए किसी किलिंग मशीन से कम नहीं है मोसाद

आतंकियों के लिए किसी किलिंग मशीन से कम नहीं है मोसाद
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युगांडा के हवाई अड्डे पर आतंकियों ने इजराइल के 54 नागरिकों को बंधक बना लिया था. आतंकियों की कुछ डिमांड भी थी. डिमांड पूरी न होने पर बंधकों को जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे.
लेकिन अपने एक-एक नागरिक की जान के बदले दुनियाभर से टक्कर लेने वाला इजराइल इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था. युगांडा की बिना अनुमति के मोसाद के एजेंट्स हवाई अड्डे में घुस गए.
वहां मौजूद सभी आतंकियों को मारकर अपने 54 नागरिकों को जिंदा छुड़ा लिया. इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था एंटेबे. आज दुनिया में इस ऑपरेशन को याद किया जाता है. कहते हैं कि मोसाद का मकसद सिर्फ मारना ही नहीं दुश्मन के बीच दहशत फैलाना भी होता है.
रुवेन शिलोह ने बनाई थी मोसाद
इजराइल सेना के एक अधिकारी रुवेन शिलोह ने मोसाद को बनाया था. दिसम्बर 1949 में मोसाद ने काम करना शुरू किया था. इसका हैडक्वॉर्टर तेल अवीब में है. मोसाद का निदेशक सिविल सेवा का क्लास वन अफसर होता है. मोसाद एक ऐसी एजेंसी जो किसी भी सीक्रेट्स को सार्वजनिक भी करती है.
बिल क्लिंटन और मोनिका लेवेस्की कांड से हम सभी वाकिफ हैं. इसके पीछे मोसाद ही थी जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति और व्हाइट हाउस की इंटर्न के बीच की बातचीत को सबके सामने रख दिया था.
कहा जाता है कि मोसाद के पास हर देश के उस नेता, अफसर और फौजी की जानकारी होती है जिसके पास देश की सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज हो सकते हैं. मोसाद इन लोगों के बारे में ये भी जानकारी रखती है कि इसमे से कौन रुपयों से खरीदा जा सकता है, कौन हनीट्रेप से काबू में आएगा या फिर किसके लिए दूसरे तरीके अपनाने पड़ेंगे.
कहा जाता है कि मोसाद में करीब 2 हजार कर्मचारी और अफसर हैं. इजराइल के गठन के साथ ही चार यहूदी संगठनों हगानाह, इरगुन, लेही और पालमच को मिलाकर मोसाद बनाई गई थी. मोसाद का वाक्य है किल एंड फ्ली मतलब दुश्मन को मारकर गायब हो जाना.
दूसरे देश की एजेंसी में भी हैं मोसाद के एजेंट्स
दुनिया में मोसाद का लोहा माने जाने के पीछे उसकी एक खास रणनीति है. इस रणनीति के तहत मोसाद दुनिया की दूसरी सीक्रेट सर्विस एजेंसी में भी अपने एजेंट्स की घुसपैठ कराती है. यही वजह है कि मोसाद हर देश के वीवीआईपी और वीआईपी की जानकारी रखती है. इन्हीं एजेंट्स की मदद से ही मोसाद किसी भी देश में अपने मिशन को आसानी से अंजाम देकर भाग खड़ी होती है.
मोसाद ने 20 साल तक नहीं छोड़ा था दुश्मन का पीछा
म्यूनिख ओलंपिक के दौरान मारे गए अपने 11 खिलाड़ियों का बदला इजराइल ने 20 साल बाद दुनियाभर में फैले उन आरोपी आतंकवादियों को मारकर लिया था. इसी तरह से मोसाद के एजेंट्स ने हमास के सदस्य महबूब अल मबूह को 21 साल बाद उसके सबसे सुराक्षित स्थान दुबई की एक होटल में जहर देकर मारा था.
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