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उत्तर प्रदेश

सुन्नी वक्फ बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने से इन्कार, बोर्ड के सीइओ ने किया खारिज

सुन्नी वक्फ बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने से इन्कार, बोर्ड के सीइओ ने किया खारिज
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लखनऊ, । सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में राम जन्मभूमि की विवादित भूमि से अपना दावा छोड़ने संबंधी किसी भी तरह का हलफनामा देने संबंधी खबरों को अफवाह बताया है। वक्फ बोर्ड के सीइओ सैयद मोहम्मद शोएब ने इससे इन्कार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल को समझौते का लिखित प्रस्ताव दिया है। मध्यस्थता पैनल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के आखिरी दिन यह खबर फैली कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। इसके लिए कोर्ट में हलफनामा देने की बात दिन भर चलती रही। कहा गया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा छोड़ने के लिए तीन शर्तें रखी हैं।

बाबरी मस्जिद कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दावा छोड़ने संबंधी किसी भी तरह का हलफनामा नहीं दिया है। यह अफवाह है। यदि हलफनामा दिया होता तो वह रजिस्ट्रार ऑफिस में आता। बुधवार शाम तक कोई भी एप्लीकेशन नहीं आई है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीइओ सैयद मोहम्मद शोएब ने कहा कि अध्यक्ष जुफर फारुकी दिल्ली में हैं। उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। जहां तक सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश करने की बात है तो इस तरह का कोई भी पत्र ऑफिस से जारी नहीं हुआ है।

बताया जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हलफनामा दाखिल करने से पहले वकीलों से सलाह-मशविरा भी नहीं किया। हलफनामे में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह अपना केस वापस लेना चाहता है। यह हलफनामा श्रीराम पंचू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब किसी भी तरह के हस्तक्षेप की अर्जी को स्वीकार नहीं किया जाएगा

हलफनामे पर वसीम रिजवी खुश

सुन्नी वक्फ बोर्ड के हलफनामे की बाबत शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि शिया बोर्ड पहले ही अपना हलफनामा देकर एक मिसाल पेश कर चुका है। अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी हलफनामा दिया है, जिससे राम मंदिर निर्माण की तरफ एक बड़ा संकेत है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आखिरी समय में सुन्नी वक्फ बोर्ड को अक्ल आ गई हो। यह तो तय है कि फसाद कराने से बेहतर दिलों को जोडऩा है।

वसीम रिजवी ने कहा कि हलफनामे में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। अब आखिरी वक्त पर शर्तों की कोई अहमियत नहीं होती है। पूरी दुनिया राम मंदिर पर फैसले का इंतजार कर रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट की तरह अपना फैसला देता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि वह इस संबंध में कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करेंगे।

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