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उत्तर प्रदेश

चिन्मयानंद पर रेप का एक केस वापस लेना चाहती थी यूपी सरकार, जारी हो गया था आदेश, लेकिन...!

चिन्मयानंद पर रेप का एक केस वापस लेना चाहती थी यूपी सरकार, जारी हो गया था आदेश, लेकिन...!
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नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं. इससे पहले भी वो इस तरह के एक दूसरे मामले में घिरे रहे हैं. 2011 में उन पर हरिद्वार के आश्रम में एक लड़की को बंधक बनाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था. इसके बाद शाहजहांपुर कोतवाली में 30 नवंबर 2011 को दुष्कर्म व जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज किया गया था. मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ चिन्मयानंद ने हाईकोर्ट (High Court) से स्टे ले लिया था, तभी से मामला लंबित चल रहा था. चिन्मयानंद पर से यह केस यूपी सरकार (UP Government) वापस लेना चाहती थी. इसके लिए बाकायदा मार्च 2018 में सरकार ने उनके खिलाफ दर्ज 376 और 506 का केस वापस लेने का आदेश दे दिया था. लेकिन पीड़िता के अड़े रहने की वजह से सरकार इसमें सफल नहीं हो सकी.

यूपी सरकार ने मार्च 2018 में केस वापस लेने का पत्र जारी किया लेकिन अखबारों की सुर्खी यह मामला अप्रैल में बना, क्योंकि इसकी किसी को भनक नहीं लगने दी गई. शासन सत्ता के गलियारे में चिन्मयानंद की कितनी पहुंच है. इसकी यह एक बड़ी बानगी है. इस मामले में बदायूं निवासी एक साध्वी ने आरोप लगाए थे. लेकिन शासन के आदेश पर शाहजहांपुर कोतवाली में दर्ज यह केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई. केस वापसी के संबंध में वरिष्‍ठ अभियोजन अधिकारी को संबोधित यह पत्र जिला मजिस्ट्रेट के हवाले से एडीएम (प्रशासन) की तरफ से जारी किया गया था.




बताया गया है कि चिन्मयानंद ने अपने ऊपर दर्ज इस मामले को झूठा बताते हुए मार्च 2017 में शासन को पत्र देकर मुकदमा वापस लेने की मांग की थी. यूपी में नई सरकार बनने के बाद शासन स्तर पर इसकी कवायद शुरू हो गई थी. हालांकि, दुष्कर्म पीड़िता ने राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस और जिला जज को पत्र लिखकर केस वापसी का विरोध किया. शाहजहांपुर के पत्रकार दीप श्रीवास्तव बताते हैं कि पीड़िता अड़ गई कि उसे न्याय नहीं मिला फिर आरोपी से केस कैसे वापस लिया जा सकता है. इसके बाद केस ज्यों का त्यों चलने लगा. लेकिन यह बात सही है कि सरकार दुष्कर्म का यह केस वापस लेना चाहती थी. इसके लिए आदेश जारी हुआ था.

हालांकि यूपी बीजेपी के प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी कहते हैं कि चिन्मयानंद ने केस वापसी के लिए आवेदन दिया था, उस पर शासन ने रिपोर्ट मांगी थी लेकिन अंतत: केस वापस नहीं लिया गया था.


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