सभी समस्याओं का समाधान हैं श्री कृष्ण:रवि गिरी
आनन्द प्रकाश गुप्ता
बहराइच।पित्रों के मोक्ष हेतु श्री सिद्धनाथ मन्दिर परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया। जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा।नगर के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु भाव विभार हो कर नाचने लगे।महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है । इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दे। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।
जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ नृत्य करने लगे।
कथा व्यास स्वामी रवि गिरी जी ने श्रीकृष्ण अवतार की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का अवतार तब होगा जब आप सत्य निवेशी बनेंगे। अर्थात आपको सत्य की साधना करनी पड़ेगी। मां देवकी ने सत्य की साधना की। सत्य की साधना कष्टदायी हो सकती है, लेकिन इसके फल के रूप में हमें श्रीकृष्ण ही प्राप्त होंगे। वह हमारे जीवन को आनंद से भर देंगे। भगवान कृष्ण सभी समस्याओं का समाधान हैं। उनके मार्गदर्शन में जीवन अगर चलने लगा तो जीवन का हर मार्ग आनंद से भर जाएगा। प्रभु कृष्ण भक्तों के प्रार्थना रूपी निर्मल झील में प्रतिदिन स्नान करते हैं।स्वामी जी ने प्रार्थना की विधि बताते हुए कहा कि प्रार्थनामें भाषा की प्रधानता नहीं होती है। प्रार्थना तो भाषा शून्य होती है, लेकिन इसके लिए भाव जरूरी है। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस मौके आयोजित हरिनाम संकीर्तन में श्रद्धालु झूम उठे।
कथा व्यास स्वामी रवि गिरी जी ने कथा की मीमांसा करते हुए कहा कि नंदोत्सव अर्थात श्री कृष्ण जन्म से पहले नवम स्कंध के अन्र्तगत राम कथा सुनायी और कहा कि भागवत में श्रीकृष्ण जन्म से पहले राम कथा की चर्चा इसी कारण कही गई है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारा जीवन राम की तरह नही रहेगा तब तक श्री कृष्ण कथा हमे समझ नही आयेगी। स्वामी रवि गिरी जी ने कहा कि भागवत कथा एक एैसी कथा है जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती है अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है इसमें अपने अंदर का मैं, अहंकार खत्म करना चाहिए। व्यास जी ने कहा कि मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार है श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बँठा "मैं" और अहंकार को खत्म करने का उचित दर्शन है।
कथा के दौरान गुरु परिवार के सदस्यों सहित अनेक गणमान्य नागरिकों, महिलाओं ने भागवत कथा का रसपान किया।