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उत्तर प्रदेश

जन्‍माष्‍टमी के दिन जन्मी चार हाथ व चार पैर की अद्भुत बालिका

जन्‍माष्‍टमी के दिन जन्मी चार हाथ व चार पैर की अद्भुत बालिका
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सुल्‍तानपुर, । जन्‍माष्‍टमी के दिन पैदा हुई अद्भुत बच्‍ची कौतूहल बनी रही। सूचना मिलते ही दूर-दराज के गांवों से लोग पहुंचने लगे। चार हाथ पैर की नवजात बच्‍ची को देवी का अवतार मान उसकी पूजा शुरू कर दी। वहीं, बच्‍ची के पिता हैरान है। डॉक्‍टर के मुताबिक, जच्चा की हालत सामान्य होने पर उसको घर भेज दिया गया।

ये है पूरा मामला

मामला कोतवाली देहात के बरसड़ा गांव का है। यहां के निवासी अभयराज की पत्‍नी नीलम देवी (26) ने शुक्रवार दोपहर दो बजे सामान्य प्रसव से घर पर ही अद्भुत बालिका को जन्म दिया। बच्‍ची के चार हाथ व चार पैर होने से उसको देखने को लोगों की भीड़ जमा होने लगी। कुछ लोगों ने तो बच्ची को देवी स्‍वरूप मानकर उसकी पूजा शुरू कर दी। वहीं, अद्भुत बालिका के जन्‍म से हैरान पिता ने 108 नंबर पर फोन कर सूचना दी तो मौके पर पहुंची एंबुलेस से सीएचसी ले जाया गया। जच्चा की हालत सामान्य होने पर उसको घर भेज दिया व अद्भुत नवजात को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर ?

डॉक्टरों के अनुसार, विज्ञान की भाषा में इसको कंज्वाइंड ट्विन्स कहा जाता है। जिसमें एक से अधिक अविकसित भ्रूण जुड़े होते हैं। यह एक कंजेटियल डिसऑर्डर है। इस स्थिति में एक से अधिक दो या तीन भ्रूण जो किसी कारणवश अलग नहीं हो सके हैं, एक साथ जुड़कर नये तरह के शरीर की संरचना बना देते हैं।

चौदह महीने पहले दिया था बच्‍चे को जन्‍म

वहीं, प्रसूता के बहनोई राजेश कुमार ने बताया कि नीलम अपने पति अभयराज के साथ गुजरात के सूरत में रहती थी। तीन महीने पहले वह गांव आए हैं। अल्ट्रासाउंड गुजरात में कराए थे। आज दोपहर बाद घर पर ही सामान्य प्रसव हुआ है। उसके बाद अद्भुत बालिका का जन्‍म हुआ। चौदह महीने पहले पहले प्रसव से सीएचसी भदैया में एक बालक का जन्म हुआ था।

भ्रूण छोटा होने की वजह से हुआ ऐसा

महिला जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. उर्मिला चौधरी ने बताया कि सिर्फ बच्चे को अस्पताल लाया गया था। प्रसव घर पर कराया गया था। परीक्षण के बाद बेहतर चिकित्सा के लिए बच्चे को हायर मेडिकल सेंटर रेफर किया जा रहा था, लेकिन उसके घरवालों ने मना कर दिया और नाल कटवाने के बाद उसे घर लेकर चले गए। उन्होंने बताया कि भ्रूण छोटा होने की वजह से जुड़वा बच्चों का डिवीजन नहीं होने पर ऐसा होता है। बच्चा जिंदा है, मगर उसकी अंदरूनी स्थिति के बारे में जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

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