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उत्तर प्रदेश

श्रमिकों का शोषण नहीं देखता श्रम विभाग साप्ताहिक बंदी पर भी खुल रहा बाज़ार

श्रमिकों का शोषण नहीं देखता श्रम विभाग साप्ताहिक बंदी पर भी खुल रहा बाज़ार
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मुरादाबाद बिलारी श्रमिकों का शोषण नहीं देखता श्रम विभाग बुधवार को साप्ताहिक बंदी पर भी खुला रहा बाजार बिलारी। शासन ने बिलारी की साप्ताहिक बंदी का दिन बुधवार निर्धारित किया है। श्रम विभाग का यहाँ कार्यालय तो है लेकिन श्रम अधिकारी की स्थाई नियुक्ति नहीं है। श्रम अधिकारी ने बताया कि वह सप्ताह में दो दिन बुधवार और शुक्रवार को कार्यालय मे रहते हैं। श्रम विभाग की श्रमिकों का शोषण रोकने में कोई रुचि नहीं है। बताया जाता है कि नगर में सर्राफ परचून कॉस्मेटिक जनरल स्टोर कपड़ा मर्चेंट इलेक्ट्रॉनिक के समान विद्युत उपकरणों हलवाई मिष्ठान रेडीमेड हेयर कटिंग आदि ऐसे प्रतिष्ठान है जो बाजार में अपनी दुकान खोले हुए बैठे हैं। इनके अलावा कई छोटी-छोटी लघु उद्योग इकाई भी है। तहसील क्षेत्र में ईंट भट्टों की भी भरमार है। जिसमें श्रमिक कार्य करते हैं। श्रम विभाग के पास इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। लगभग सभी दुकानों पर एक से चार तक कर्मचारी कार्य करते हैं। नगर में दुकानों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक बताई जाती है। बताया जाता है कि श्रम विभाग के पास अभी तक ऐसी कोई सूची नहीं है जिससे यह पता चल सके कि नगर क्षेत्र की प्रतिष्ठानों पर कितने श्रमिक काम करते हैं। बताया जाता है कि श्रमिकों की मजदूरी भी शासन के न्यूनतम वेतन के अनुरूप भी नहीं है। श्रमिकों को श्रम विभाग से कोई बहुत बड़ी अपेक्षा भी नहीं है। श्रमिक जितनी मजदूरी दुकानों पर काम करने से प्राप्त करते हैं। उन्हें उससे अधिक वेतन मिलने की संभावना भी नहीं है। बेरोजगारी का आलम यह है कि लोग उससे सस्ते में नौकरी करने को तैयार हैं। श्रमिक चाहते हैं कि श्रम विभाग मात्र शासन की दो सुविधाएं उन्हें उपलब्ध करा दें। पहली तो यह कि उनके काम के 8 घंटे निर्धारित करा दिया जाएं। दुकानदार श्रमिकों से 10 से 14 घंटे तक प्रतिदिन काम लेते हैं। दूसरा श्रमिक चाहते हैं कि साप्ताहिक बंदी के दिन उन्हें पूर्ण रूप से अवकाश मिल जाए। यह तभी संभव है जब श्रम विभाग का अधिकारी प्रत्येक सप्ताह बाजार को बंद रखने के लिए कमर कस लें। बताया जाता है कि बाजार खोले जाने की एवज में व्यापारियों का समूह कुछ निर्धारित रकम प्रतिमाह श्रम विभाग के कार्यालय को पहुँचाता है। यह एक परंपरा बन चुकी है। श्रम विभाग पर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भाजपा की सरकार में भी श्रम विभाग अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। श्रमिकों की आस 8 घंटे ड्यूटी करने और साप्ताहिक अवकाश मिलने की पूरी होगी भी या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। श्रमिक अधिकारी धीरेंद्र सिंह से हमारे संवाददाता ने बात की उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह कल दिन भर चुनाव ड्यूटी में रहे हैं। थके हुए हैं। सोने दोगे या नहीं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि श्रम विभाग का अधिकारी अपनी ड्यूटी के प्रति कितने गंभीर हैं।अन्य विभागों के सभी कार्यालय खुले हुए हैं और अधिकारी भी अपने-अपने कार्य में व्यस्त हैं। ऐसे में श्रम अधिकारी का यह बयान उनकी सर्विस नियमावली के भी विपरीत है। उच्च अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।... रिपोर्ट वारिस पाशा जनता की आवाज से बिलारी मुरादाबाद

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