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उत्तर प्रदेश

नैनी जेल में बंद छोटे लोहिया ने पुलिस हिरासत में किया था नामांकन

नैनी जेल में बंद छोटे लोहिया ने पुलिस हिरासत में किया था नामांकन
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प्रयागराज : बात करीब पांच दशक पुरानी है। छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र छात्र आंदोलन के कारण नैनी सेंट्रल जेल में बंद थे। उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) ने फूलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना दिया। जेल में बंद होने के कारण उन्हें पुलिस हिरासत में नामांकन करना पड़ा था। वह मजबूती से चुनाव लड़े, हालांकि नतीजा उनके हक में नहीं रहा।

जनेश्वर के खिलाफ थीं विजय लक्ष्मी पंडित

वर्ष 1967 में देश में तीसरा आम चुनाव हुआ था। फूलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित चुनाव मैदान में थीं। वह फूलपुर से सांसद भी थीं। उनका मुकाबला संशोपा के छोटे लोहिया यानी जनेश्वर मिश्र से था। तब तक बलिया के मूल निवासी जनेश्वर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जुझारू छात्रनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे। छात्र आंदोलन के चलते वह नैनी जेल में बंद थे।

डॉ. लोहिया ने तत्कालीन पीएम पंडित नेहरू के खिलाफ ठोंकी थी ताल

इससे पहले फूलपुर लोकसभा सीट से डॉ. राम मनोहर लोहिया ने 1962 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ ताल ठोंकी थी। पंडित नेहरू के पक्ष में इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार संभाला था। परिणाम भले ही पंडित नेहरू के हक में रहा, लेकिन कई बूथों पर डॉ. लोहिया आगे रहे थे। 1967 के चुनाव में उन्हें (डा. लोहिया को) फिर इस सीट से संसोपा प्रत्याशी बनाने पर विचार-विमर्श चल रहा था। चूंकि डॉ. लोहिया 1962 में चुनाव लड़ चुके थे, इसलिए उन्होंने कहा कि वहां जनेश्वर मिश्र अच्छा चुनाव लड़ सकते हैं। उनके सलाह पर जेल में बंद छोटे लोहिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

नामांकन के बाद पुलिस हिरासत में फिर भेजा गया जेल

जनेश्वर मिश्र को प्रत्याशी घोषित किए जाते ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष मोहन सिंह सहित सैकड़ों छात्र फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में उनके समर्थन में घूमने लगे। चुनाव गति पकडऩे लगा। इसी बीच नामांकन शुरू हो गया। छोटे लोहिया जेल में बंद थे, वह नामांकन कैसे करेंगे, यह एक समस्या थी। उस समय के दिग्गज समाजवादी नेता छुन्नन गुरु, शालिगराम जायसवाल, बरकत उल्ला चौहान, सत्य प्रकाश मालवीय, लक्ष्मण सहाय सक्सेना आदि ने जनेश्वर के नामांकन के लिए उन्हें छोड़े जाने पर जोर दिया। इन समाजवादी नेताओं के दबाव में डीएम ने आश्वस्त किया कि जनेश्वर को जेल से बुलवाकर नामांकन करा दिया जाएगा। दूसरे ही दिन नैनी सेंट्रल जेल से पुलिस कस्टडी में छोटे लोहिया कलेक्ट्रेट आए। वहां मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ताओं सेहत बहादुर, मो. मेंहदी आदि के सहयोग से जनेश्वर का नामांकन हुआ। नामांकन के बाद पुलिस हिरासत में उन्हें फिर जेल भेज दिया गया।

नामांकन के दूसरे दिन ही जेल से छोड़े गए जनेश्वर

हालांकि, समाजवादी नेता जनेश्वर की रिहाई के लिए प्रशासन पर दबाव बनाए हुए थे। नामांकन के दूसरे दिन ही छोटे लोहिया को जेल से छोड़ दिया गया। उनके जेल से छूटते ही फाफामऊ बाजार में हजारों लोगों ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। उस समय जनेश्वर ने कांग्रेस पार्टी पर गरीबों की अनदेखी करने एवं किसानों के शोषण जैसे मुद्दे को उठाकर चुनाव को कांटे का बना दिया। इस चुनाव में पूरे देश के समाजवादी नेता जनेश्वर का प्रचार कर रहे थे।

जेल का फाटक टूट गया, जनेश्वर मिश्र छूट गया...

जनेश्वर मिश्र के समर्थन में नारा लग रहा था- जेल का फाटक टूट गया, जनेश्वर मिश्र छूट गया। लाल वीरेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि कांटे के मुकाबले में विजय लक्ष्मी पंडित चुनाव जीत गईं। जनेश्वर चुनाव हार गए।

दो साल के अंदर विजयलक्ष्मी ने दे दिया इस्तीफा

चुनाव परिणाम के दो साल के अंदर किन्हीं कारणों से विजय लक्ष्मी पंडित ने लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। त्यागपत्र देने के बाद 1969 में हुए उपचुनाव में जनेश्वर फिर संशोपा से उतरे। उनका मुकाबला तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री केशव देव मालवीय से था। इस बार जनेश्वर ने केशव देव को चुनाव हरा दिया और देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच गए।

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