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उत्तर प्रदेश

'जूतामार' सांसद से क्यों किनारा नहीं कर पाई BJP ?

जूतामार सांसद से क्यों किनारा नहीं कर पाई BJP ?
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खलीलाबाद के जूता कांड ने पूर्वांचल में टिकट बंटवारे की स्थिति बदल दी, कई दशकों से चल रही ठाकुर बनाम ब्राह्मण की राजनीति जो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने और शिव प्रताप शुक्ला के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद थमती नजर आ रही थी, वह एक बार फिर तेज हो गई. ऐसे में बीजेपी अपने दोनों पुराने और परम्परागत वोट बैंक में किसी को नाराज नहीं कर सकती थी. शायद इसलिए शरद त्रिपाठी और उनके परिवार में किसी को टिकट दिया जाना जरूरी था.

पार्टी ने सांसद त्रिपाठी का टिकट तो काट दिया, लेकिन उसके बदले उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से टिकट देकर साफ कर दिया कि बीजेपी शरद त्रिपाठी के समर्थकों को नाराज नहीं करना चाहती है. सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या है जो इतनी बड़ी अनुशासनहीनता के बाद भी पार्टी को शरद त्रिपाठी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने देता और उनके परिवार को टिकट देने पर मजबूर करता है?

ये जानने के लिए शरद त्रिपाठी की पारिवारिक पृष्टभूमि को जानना जरूरी है. शरद त्रिपाठी के पिता और देवरिया सीट से उम्मीदवार घोषित किए गए रमापति राम त्रिपाठी की गिनती उत्तर प्रदेश बीजेपी के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं में होती है. रमापति राम त्रिपाठी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी रह चुके हैं. उनकी गिनती गोरखपुर के आस-पास के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं में होती है

पार्टी में शरद त्रिपाठी का विरोध इतना ज्यादा था कि पार्टी उनको टिकट देकर ठाकुर मतदाताओं को सीधे-सीधे नाराज नहीं कर सकती थी. ऐसे में बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे. रमापति राम त्रिपाठी को टिकट देकर ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में कर लिया जबकि सीट बदल कर ठाकुर मतदाताओं की नाराजगी कम कर दी.

गोरखपुर और आस-पास के इलाकों में बीजेपी ने उतने ही ब्राह्मण उम्मीदवारों की गिनती रखी है जितनी 2014 के लोकसभा चुनावों में रखी थी. इस बार एक बदलाव हुआ है, उसमें खलीलाबाद सीट का ब्राह्मण कोटा गोरखपुर शिफ्ट कर दिया गया है. जबकि देवरिया, कुशीनगर, बस्ती इन सब सीटों पर 2014 की तरह इस बार भी ब्राह्मण उम्मीदवारों को उतारा गया है.

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