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उत्तर प्रदेश

श्रीप्रकाश जायसवाल के प्रत्याशी घोषित होते ही,अजय कपूर ने अखिलेश से मुलाकात क्यों की?

श्रीप्रकाश जायसवाल के प्रत्याशी घोषित होते ही,अजय कपूर ने अखिलेश से मुलाकात क्यों की?
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लखनऊ। लोकसभा चुनाव का माहौल गर्माते ही शुरू हुए दलबदल के बीच एक मुलाकात ने कानपुर के सपा और कांग्रेस खेमे में नई हलचल पैदा कर दी है। अपनी पार्टी से टिकट की उम्मीद में दिल्ली जाने से पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात कर कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय कपूर ने चर्चाओं को जन्म दे दिया है। हर जुबां पर एक ही सवाल है कि अजय कपूर ने अखिलेश से मुलाकात क्यों की? सवाल तब और गंभीर हो जाता है, जब कांग्रेस ने श्रीप्रकाश जायसवाल को प्रत्याशी घोषित कर दिया है।


सपा-बसपा गठबंधन में हुए सीटों के बंटवारे में कानपुर सपा के कोटे में है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इशारा कर चुके थे कि इस सीट पर वह अपना प्रत्याशी कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी सामने आने के बाद ही घोषित करेंगे। उधर कांग्रेस के दावेदार दिल्ली में जोर लगाए हैं तो सपाइयों ने लखनऊ में डेरा डाल रखा है। इस बीच रविवार को किदवई नगर के पूर्व विधायक अजय कपूर लखनऊ पहुंचे और सपा प्रदेश कार्यालय में अखिलेश यादव से मुलाकात की।

यह किसी से छिपा नहीं है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। पार्टी हाईकमान के सामने भी कानपुर में कांग्रेस के यह धड़े जाहिर हो चुके हैं। आखिरकार पार्टी ने बुधवार देर शाम पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को टिकट दे दिया। इसके बाद तो अखिलेश यादव और अजय कपूर की मुलाकात के मायने और गंभीरता से निकाले जाने लगे हैं। कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों से लेकर यहां लखनऊ में उम्मीदें संजोए आए सपा नेता स्पष्ट कह रहे हैं कि अजय कपूर ने गठबंधन से टिकट मांगा है। जल्द ही उनकी दूसरी मुलाकात भी प्रस्तावित है। वहीं, अजय कपूर का कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मेरे पारिवारिक रिश्ते हैं। उनसे मिलता ही रहता हूं। मैं कांग्रेस का सिपाही हूं।

...तो अलग ही होगा कानपुर का दंगल

कयासों के मुताबिक यदि अजय कपूर गठबंधन प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकते हैं तो यह मुकाबला और रोचक हो जाएगा। कांग्रेस की चिंता यह होगी कि संगठन के समानांतर कांग्रेस चलाने वाले अजय कपूर के साथ कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम गठबंधन की जीत के लिए दम लगाएगी। इसी तरह सपा में टिकट के दावेदार नाराज हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा जरूर अपना लाभ देख सकती है।

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