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अभिनंदन की वापसी पर दुनियाभर की मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को सराहा

अभिनंदन की वापसी पर दुनियाभर की मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को सराहा
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भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान आज वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लेकर आएंगे। भारतीय सेना के पराक्रम और सरकार के कूटनीतिक चक्रव्यूह के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए। भारत ने दो टूक कहा था हर हाल में अभिनंदन की बिना शर्त सकुशल रिहाई चाहता है। दबाव रंग लाया और गुरुवार को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अभिनंदन की रिहाई का एलान कर दिया। भारत की इस कामयाबी को कूटनीतिक जीत बताया जा रहा है। दुनिया भर की मीडिया ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।

14 फरवरी को पुलवामा में हुए एक आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके 12 दिनों बाद 26 फरवरी को भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर हमला कर 325 आतंकवादी और आतंकियों के ट्रेनर का सफाया कर दिया था।

इनमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को तुरंत फैसला लेने वाले नेता के रूप में पेश किया। वहीं, पाक के सामने अपनी रणनीति तय करने की चुनौती है। भारत ने 26 फरवरी को तड़के 3.30 बजे पाक सीमा में घुसकर आतंकी कैम्पों को तबाह किया था।

द गार्जियन

ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा है कि इमरान खान का भारतीय पायलट अभिनंदन वर्तमान को रिहा करने का एलान काफी आश्चर्यजनक है। जिसके बाद पाकिस्तान भारत पर दबाव बनाएगा जिससे तनाव कम हो। लेकिन जब तक पाकिस्तान यह स्वीकार नहीं कर लेता कि वह अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी संगठनों पर कार्रवाई कर रहा है, तब तक भारत अपनी कार्रवाई जारी रख सकता है। यही वह मुद्दा है जिसके चलते बीते दो दिन में परमाणु शक्ति से लैस दोनों देश युद्ध की कगार पर खड़े हो गए हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि अधिकतर भारतीय खास तौर पर पीएम मोदी के रूढ़िवादी हिंदू राजनीतिक समर्थक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दूसरे प्रस्ताव को मानने में के पक्ष में नहीं थे। इमरान के इस प्रस्ताव का उद्देश्य मोदी को तनाव कम करने के लिए वार्ता करने के लिए रजामंद करना था।

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की सीनियर फैलो एलिसा आयर्स का कहना है, "बीते कई दशकों से पाकिस्तान के साथ चल रही बातचीत की प्रक्रिया थका देने वाली है। पाकिस्तान में मौजूद आतंकी समूहों पर कार्रवाई नहीं करने से भारत थका हुआ महसूस करने लगा है। भारतीयों को लगता है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं हो सकती है।"

ज्यादातर लोगों का यह भी मानना है कि पाकिस्तान की की अर्थव्यवस्था बिगड़ी हुई है और उसकी स्थिति युद्ध लड़ने की नहीं है। चीन समेत कई देश अब पाकिस्तान पर आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे हैं।

मोदी अचानक फैसले लेने वाले नेता : वॉशिंगटन पोस्ट

वॉशिंगटन पोस्ट

अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि परमाणु शक्ति संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से सैन्य मुठभेड़ें जारी हैं। हालांकि पाकिस्तान अब लड़ाई को टाल रहा है। गुरुवार को पाकिस्तान संसद में इमरान खान ने शांति के संदेश के तहत भारतीय पायलट को रिहा करने की घोषणा की। उनके फैसले से उपमहाद्वीप में तनाव कम होगा।

लेकिन इस बात की भी संभावना बनी हुई है कि भारत और पाकिस्तान युद्ध की तरफ बढ़ सकते हैं। कुछ दिनों पहले ही दोनों देशों के बीच करीब 50 साल बाद हवाई हमले हुए। दुनिया के नेताओं ने दोनों देशों को संयत बरतने और शांति की अपील की है।

मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में राजनीतिक वैज्ञानिक और परमाणु रणनीतिकार विपिन नारंग के मुताबिक 26 फरवरी को भारत की तरफ से हुआ हवाई हमला 1971 के बाद से सबसे बड़ी कार्रवाई है। मोदी ने खुद को अचानक फैसले लेने वाले नेता के रूप में पेश किया है, वहीं पाकिस्तान को यह नहीं मालूम कि वह कहां वार कर सकता है।

सीएनएन

अमेरिकी समाचार संस्थान सीएनएन ने लिखा है कि जब दो बड़े देशों के बीच लड़ाई होती है तो लोगों के अंजाम भुगतने की संभावना ज्यादा होती है। यह बात कुछ समय पहले पाकिस्तान में चुनकर सत्ता में आए इमरान खान और भारत में हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी ने नेता नरेंद्र मोदी दोनों महसूस कर रहे हैं।

भारत में चुनाव होने वाले हैं। मौजूदा टकराव से बचने के लिए दोनों प्रधानमंत्रियों को अपने सियासी भविष्य के लिए ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता और अविश्वास की खींचतान का सामना करना पड़ेगा। इमरान खान क्रिकेटर रहे हैं। वह रूढ़िवादी मुस्लिमों के बीच 'नया पाकिस्तान' बनाने के लोकलुभावन नारे के साथ सत्ता में आए हैं। इसके चलते भारत पर दबाव रहेगा।

पाकिस्तान अखबार डॉन ने यह लिखा

डॉन

पाकिस्तान के अखबार डॉन ने लिखा है कि यह नरेंद्र मोदी का सोच-समझकर खेला गया जुआ है। वे मानते हैं कि उनका दुनिया में असर बढ़ रहा है। जिसके चलते भारत इस तरह का खतरा मोल ले सकता है। पाकिस्तान के समक्ष यह गंभीर चुनौती है कि वह किस तरह आगे की रणनीति तय करे। पाकिस्तान बातचीत के जरिए समस्या का समाधान करना चाहता है। लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के चलते यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या पाकिस्तान वाकई ऐसा करने में कामयाब हो पाएगा?

सैन्य घुसपैठ को लेकर निश्चित रूप से प्रतिक्रिया होनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें भारतीय सीमा या नियंत्रण रेखा पर हमला करना चाहिए या पार करना चाहिए। उधर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती होने जा रही है और यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

इस समय भारत कश्मीर से ध्यान हटाने में कामयाब रहा है और उसने पाकिस्तान पर दोष स्थानांतरित कर दिया है। पाकिस्तानी राजनयिकों के लिए इस तरह की आक्रामकता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना एक बड़ी चुनौती होगी।

भारत ने मंगलवार सुबह पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के रूप में अपने हवाई हमलों को चिह्नित करने के लिए सावधानी बरती। यह बात अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बुधवार को दिए गए बयान में भी दिखी।

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