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भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन का बाल भी बांका नहीं कर सकता पाकिस्‍तान

भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन का बाल भी बांका नहीं कर सकता पाकिस्‍तान
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नई दिल्ली। पाकिस्तानी सेना के कब्जे में पहुंच गये भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का पाकिस्तान बाल भी बांका नहीं कर सकता है। जिनेवा संधि के तहत पाकिस्तान उसे भारत को लौटाने के लिए बाध्य है।

पायलट अभिनंदन वर्तमान पर युद्धबंदी होने के नाते उनके ऊपर जेनेवा संधि के नियम लागू हो गये हैं। इससे उन्हें संरक्षण मिल गया। इस समझौते के तहत ऐसे किसी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है। युद्ध बंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता है। उसे किसी तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता है।

भारत ने मंगलवार को पाकिस्तानी सीमा में घुसकर आतंकी शिविरों पर बम बरसाए थे। उससे खीझी हुई पाकिस्तानी वायुसेना ने बुधवार को भारत में अपने लड़ाकू विमान भेजे। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एक विमान एफ-16 को मार गिराया। हालांकि इस दौरान भारत का एक लड़ाकू विमान मिग-21 नष्ट हो गया, जिसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में हैं। घायल पायलट का इलाज कराया जा रहा है।

अभिनंदन को युद्धबंदी (पीओडब्लू) मानकर उन पर जिनेवा समझौता के नियम तत्काल लागू हो गये। कारगिल युद्ध में भी भारतीय पायलट नचिकेता को जिनेवा संधि के तहत छोड़ना पड़ा था। जबकि 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बना लिया था। जिन्हें बाद में सुरक्षित छोड़ दिया गया था।

मेजर जनरल रिटायर्ड केके सिन्हा के मुताबिक कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता का पाकिस्तान में उतरना और पाक सेना द्वारा उन्हें पकड़ना और फिर उनका सही-सलामत वापस आना एक बड़ा उदाहरण देश के सामने है।

सिन्हा ने कहा कि अगर हमारे पायलट को कुछ भी होता है तो यह जिनेवा एक्ट का उल्लंघन होगा और यह पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा। जिनेवा संधि के तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता। पर्याप्त खाने और पानी का इंतजाम करना उन्हें बंधक रखने वालों की जिम्मेदारी होगी। उन्हें वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो भारत मुहैया करवाता।

जिनेवा संधि की कुछ मुख्य बातें

युद्ध के दौरान भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए जेनेवा समझौता हुआ था। इस पर 179 देशों ने हस्ताक्षर किया है। इसमें युद्धबंदियों के अधिकार तय किये गये हैं। उसके खिलाफ मुकदमा भी इन्हीं नियमों के तहत चलाया जा सकता है। युद्धबंदी को लौटाना भी होता है।

*संधि के तहत घायल युद्धबंदी की उचित देखरेख की जाती है।

*युद्धबंदी को खाना-पानी के साथ जरूरत की सभी चीजें दी जाती हैं।

*युद्ध में बंदी सैनिक से अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता।

*सैनिक ज्यों ही पकड़ा जाता है, उस पर संधि के सभी नियम लागू होते हैं।

*युद्धबंदी की जाति, धर्म और जन्म आदि के बारे नहीं पूछा जा सकता है।

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