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भारतीय पायलट को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा पाकिस्तान, जानें- क्या है जिनेवा संधि

भारतीय पायलट को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा पाकिस्तान, जानें- क्या है जिनेवा संधि
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नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत पीओके और बालाकोट स्थित आतंकी कैंप को तबाह कर चुका है। लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि उसके एयर स्पेस में भारत अनधिकृत रूप से दाखिल हुआ था। 26 फरवरी को भारतीय पक्ष की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में दहशत और बौखलाहट है। पाकिस्तान के बौखलाहट का असर 27 फरवरी को नजर आया जब उसकी तरफ से एफ-16 लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में दाखिल हुए। लेकिन भारतीय वायुसेना ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया।

हालांकि इन सबके बीच एक मिग विमान हादसे का शिकार हो गया और एक भारतीय पायलट पाकिस्तान के कब्जे में चला गया। पाकिस्तान पहले तो दो पायलटों की गिरफ्तारी का बात कर रहा था। लेकिन अब उसके सुर बदल चुके हैं। ऐसे में सबके जुबां पर एक संधि का नाम सामने आ रहा है जिसे हम जेनेवा कंवेश्न के नाम से जाना जाता है

युद्ध बंदियों के लिए नियम

अगर लड़ाई के कोई जवान या अधिकारी शत्रु देश की सीमा में दाखिल हो जाता है तो गिरफ्तारी की सूरत में उसे युद्धबंदी माना जाता है। युद्धबंदियों के संबंध में जेनेवा में व्यापक विचार कर कुछ नियम बनाए गए जिसे हम जिनेवा संधि के तौर पर जानते हैं। जिनेवा संधि के तहत शत्रु पक्ष युद्धबंदियों को डराने-धमकाने के साथ अपमानित नहीं कर सकता है। इसके अलावा ऐसा कोई काम नहीं किया जाएगा जिससे जनमानस में उनके बारे में जानने की उत्सुकता हो। इस संधि के तहत युद्धबंदियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। इसके अलावा एक विकल्प ये भी है कि युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद उन्हें वापस लौटा दिया जाए। संधि के प्रावधानों के मुताबिक पकड़े जाने की सूरत में युद्धबंदियों को अपना नाम, सैन्य पद और नंबर बताना होगा। सामान्य तौर पर दुनिया के ज्यादातर जिनेवा संधि का सम्मान करते रहे हैं। लेकिन कुछ देशों ने इस संधि का उल्लंघन भी किया है। जिनेवा संधि पर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में सहमति बनी। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान मानवीय मूल्यों को बरकरार रखने के लिए कानून बनाना था।

आप को बता दें कि करगिल लड़ाई के दौरान पायलट नचिकेता को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। नचिकेता के मामले को जिनेवा संधि के तहत उठाया गया था। तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया और पाकिस्तान सरकार को झुकना पड़ा और इस तरह से नचिकेता की सकुशल स्वदेश वापसी संभव हो सका।

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