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उत्तर प्रदेश

40 जाबांजों की कहानी, जिन्होंने पुलवामा अटैक में दी शहादत

40 जाबांजों की कहानी, जिन्होंने पुलवामा अटैक में दी शहादत
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में देश के 40 सपूतों ने अपनी जान दे दी. इस हमले में किसी ने अपना पति खोया, किसी ने बेटा, किसी ने भाई तो किसी के सिर से पिता का साया उठ गया. ये जवानों के परिवार वालों को भले ही अपने बेटे-भाई के खोने का गम है, लेकिन यह उनके लिए गर्व की बात भी है. आइए जानते हैं उन वीरों की कहानी, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

1. शहीद मोहन लाल (उत्तरकाशी, उत्तराखंड)

शहीद मोहन लाल 110वीं बटालियन में एएसआई पद पर तैनात थे. शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिवार में पत्नी और 5 बच्चे हैं, जिनमें 2 बेटे और 3 बेटियां हैं. इनमें से तीन बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं. देहरादून के नेहरू पुरम एमडीडीए कॉलोनी, कांवली रोड पर उनका परिवार रहता है. परिवार को उनकी शहादत पर गर्व है लेकिन वो सरकार से कार्रवाई की अपील भी कर रहा है.

2. शहीद वीरेंद्र सिंह (उधम सिंह नगर, उत्तराखंड)

शहीद वीरेंद्र सिंह 45वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. वीरेंद्र सिंह राणा तीन दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी काट कर वापस ड्यूटी पर लौटे थे. वीरेंद्र अपने पीछे पत्नी रेनू और पांच साल की लड़की के साथ ही ढाई साल के लड़के को छोड़ गए हैं. तीन भाइयों में वो सबसे छोटे थे. बड़े भाई जय सिंह राणा भी सीआरपीएफ से रिटायर हुए हैं.

3. शहीद प्रदीप कुमार (शामली, उत्तर प्रदेश)

शहीद प्रदीप कुमार 21वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. वे 2005 में प्रदीप सीआरपीएफ की 21 वीं बटालियन में भर्ती हुए थेय पत्नी कामिनी के अलावा प्रदीप के दो बेटे हैं. दो बेटों में एक सिद्धार्थ 15 साल का है और चीकू 14 का. अभी बड़ा बेटा इंटर में और छोटा हाई स्कूल में पढ़ता है. प्रदीप अभी-अभी परिवार की एक शादी में शामिल होकर लौटे थे.

4. शहीद अमित कुमार (शामली, उत्तर प्रदेश)

शहीद अमित कुमार 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. अमित 2 साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. पांच भाइयों में अमित सबसे छोटे थे. 21 साल के अमित की अभी शादी भी नहीं हुई थी. उन्हें अंतिम विदाई देने वालों में जनरल वी के सिंह भी मौजूद थे.

5. शहीद कौशल कुमार रावत (आगरा, उत्तर प्रदेश)

शहीद कौशल कुमार रावत 115वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 47 साल के कौशल कुमार रावत 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दो बेटे और एक बेटी है और बेटी की शादी हो चुकी है.पत्नी ममता और छोटा बेटा विशाल कौशल कुमार रावत के साथ गुरुग्राम में रहते थे. पश्चिम बंगाल से पोस्टिंग के बाद कौशल कुमार रावत जम्मू-कश्मीर जा रहे थे.

6. शहीद रमेश यादव (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

शहीद रमेश यादव 61वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. रमेश अपने पीछे बूढ़े मा-बाप, पत्नी और एक डेढ़ साल का बेटा छोड़ गए. तीन साल पहले ही वो सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. रमेश 12 फरवरी को ही छुट्टियां बिताकर ड्यूटी करने जम्मू-कश्मीर गए थे.

7. शहीद प्रदीप सिंह (कन्नौज, उत्तर प्रदेश)

शहीद प्रदीप सिंह 115वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. प्रदीप को उनकी बड़ी बेटी सौम्या ने मुखाग्नि दी. प्रदीप 40 दिन की छुट्टी काटकर 11 फरवरी को जम्मू-कश्मीर लोटे थे. उनके पिता सीआरपीएफ से सब-इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए हैं.

8. शहीद श्याम बाबू (कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश)

शहीद श्याम बाबू 115वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. श्याम बाबू के परिवार में पिता राम प्रसाद माता कैलाशी देवी पत्नी रूबी कमल के साथ दो बच्चे लकी और आरुषि हैं. साल 2007 में गांधी इंटर कालेज से इंटर करने के बाद वो सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे.

9. शहीद अजीत कुमार आजाद (उन्नाव, उत्तर प्रदेश)

शहीद अजीत कुमार आजाद 115वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. अजीत पांच भाइयों में सबसे बड़े थे. 10 फरवरी को छुट्टी के बाद उनके परिवार ने उन्हें रेलवे स्टेशन छोड़ा था. वो अपने पीछे पत्नी और दो बेटियां छोड़ गए हैं जिनकी उम्र 10 और 7 साल है.

10. शहीद महेश कुमार (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)

शहीद महेश कुमार 118वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. शहीद महेश कुमार के पार्थिव शरीर का नरवर घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. चिता को मुखाग्नि उनके पिता राजकुमार यादव ने दी. महेश के परिवार में उनके माँ-बाप, पत्नी और दो बेटे हैं.

11. शहीद अवधेश कुमार यादव (चंदौली, उत्तर प्रदेश)

शहीद अवधेश कुमार यादव 45वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. आतंकी घटना से चंद घंटे पहले ही अवधेश की पत्नी व भाई से मोबाइल पर बात भी हुई थी. बहादुरपुर गांव के किसान हरिकेश यादव के दो बेटे और दो बेटियों में दूसरे नंबर पर 34 साल अवधेश कुमार यादव की 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुई थी. पत्नी शिल्पी यादव, भाई बृजेश यादव सदमे में हैं.

12. शहीद पंकज कुमार त्रिपाठी (महाराजगंज, उत्तर प्रदेश)

शहीद पंकज कुमार त्रिपाठी 53वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. पंकज 2012 में सीआरपीएफ में चालक के पद पर तैनात हुए थे. 2014 में पंकज की शादी रोहिणी के साथ हुई. 2016 में उनके बेटा हुआ था. वे 10 दिन की छुट्टी पर आए पंकज ने जल्द लौटने का वादा किया था.

13. शहीद विजय कुमार मौर्या (देवरिया, उत्तर प्रदेश)

शहीद विजय कुमार मौर्या 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. छुट्टी से वापस लौटने के एक हफ्ते के भीतर ही गुरुवार की शाम लगभग 6 बजे सीआरपीएफ में ही तैनात चचेरे भाई राजेश ने विजय के शहीद होने की खबर परिजनों की दी थी. विजय की पत्नी लक्ष्मी उस वक्त अपनी 1 साल की बेटी के साथ देवरिया में थीं.

14. शहीद राम वकील (मैनपुरी, उत्तर प्रदेश)

शहीद राम वकील 176वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. विनायकपुर में रामवकील माथुर की शहादत पर उनकी मां को दुख भी है और गर्व भी है कि उनके बेटने ने पूरी दुनिया में उनका नाम रोशन कर दिया. 35 साल के रामवकील चार दिन पहले ही छुट्टी के बाद घर से वापस ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे. कह कर गए थे कि लौट कर आऊंगा तो घर बनवाऊंगा.

15. शहीद जीत राम (भरतपुर, राजस्थान)

शहीद जीत राम 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. जीतराम 2010 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे. उनकी शादी करीब 5 साल पहले हुई थी. घर में कमाने वाले वह अकेले ही थे. 12 फरवरी को छुट्टी काटने के बाद लौटे थे. परिवार में मां, पत्नी के अलावा दो बच्चियां और एक भाई है जो अभी बेरोजगार है.

16. शहीद रोहिताश लांबा (जयपुर, राजस्थान)

शहीद रोहिताश लांबा 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. उनके दो माह के बटे ध्रुव से उन्हें मुखाग्नि दिलाई गई. रोहिताश के बेटे ध्रुव का जन्म 10 दिसंबर को ही हुआ था. इस दौरान केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ मौजूद रहे. रोहिताश की गुरुवार दोपहर 12 बजे ही पत्नी मंजू से बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि अधिक ठंड की वजह से उन्होंने कुछ खाया-पीया नहीं था.

17. शहीद नारायण लाल गुर्जर (राजसमंद, राजस्थान)

शहीद नारायण लाल गुर्जर 118वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. राजसमंद का ये बेटा 16 साल से सीआरपीएफ में था. उनका एक 11 साल का बेटा है मुकेश और बेटी है हेमलता. दोनों सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. शहीद की पत्नी मोहनी देवी ने कहा कि उनका बेटा मुकेश भी सेना जाएगा, ताकि पिता का बदला आतंकियों से ले सके.

18 शहीद हेमराज मीणा (कोटा, राजस्थान)

शहीद हेमराज मीणा 61वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. वे कोटा जिले के छोटा से गांव विनोद कलां के रहने वाले थे. गांव से 3 किमी दूर खेत में मकान बनाकर शहीद हेमराज के माता-पिता, भाई और पत्नी मधु समेत उसके चार मासूम बच्चे रहते हैं. हेमराज के रिटायर होने में 18 महीने ही बचे थे.

19 शहीद भागीरथी सिंह (धौलपुर, राजस्थान)

शहीद भागीरथी सिंह 45वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. भागीरथी सिंह धौलपुर जिले के राजाखेड़ा के मूल निवासी थे. वो पत्नी रंजीता और दो बच्चों को छोड़कर चले गए. बेटा तीन साल का है और बेटी महज एक साल की है. वो 17 जनवरी से छुट्टी पर थे और 11 फरवरी को ड्यूटी ज्वाइन करने लौटे थे.

20 शहीद कुलविंदर सिंह (आनंदपुर साहिब, पंजाब)

शहीद कुलविंदर सिंह 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. कुलविंदर सिंह 10 फरवरी को ही 10 दिन की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर वापस लौटे थे. 12 फरवरी को उन्होंने घर पर आखिरी फोन किया था. फोन पर पिता को नए घर को पेंट करवाने के लिए कहा था क्योंकि नबंवर में कुलविंदर की शादी होने वाली थी. शहीद कुलविंदर सिंह ने 14 फरवरी को सुबह करीब 11 बजे अपनी मंगेतर से बात की थी.

21. शहीद जैमाल सिंह (मोगा, पंजाब)

शहीद जैमाल सिंह 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 45 साल के जैमाल बहादूरी और जांबाजी के लिए जाने जाते थे. ड्राइवर के तौर पर भर्ती शहीद जैमल सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन की बस को चला रहे थे, जो धमाके का शिकार हुई. जैमल सिंह 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे. जैमल की शादी 17 साल पहले सुखजीत कौर से हुई थी. इस बार छुट्टी से लौटते समय बेटे से वादा कर गए थे कि अगली बार आएंगे तो उसका दाखिला अच्छे स्कूल में कराएंगे.

22. शहीद सुखजिंदर सिंह (तरनतारन, पंजाब)

शहीद सुखजिंदर सिंह 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. किसान गुरमेज सिंह के 32 साल के बेटे सुखजिंदर सिंह अपने पीछे मां-बाप, दो भाइयों और पत्नी के अलावा एक 8 माह के बेटे को छोड़ गए हैं.

23. शहीद मनिंदर सिंह अत्री (गुरदासपुर, पंजाब)

शहीद मनिंदर सिंह अत्री 75वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. मनिंदर 13 फरवरी को ही छुट्टी काट कर ड्यूटी पर लौटे थे. मनिंदर के शहीद होने की खबर देर रात उनके पिता सतपाल अत्री को फोन पर मिली. मनिंदर सिंह पहले बंगलुरू में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. वो बास्केटबाल के बेहद अच्छे खिलाड़ी थे. उन्होंने शादी नहीं की थी. उनका कहना था कि प्रमोशन के बाद धूमधाम से शादी करेंगे.

24. शहीद नसीर अहमद (राजौरी, जम्मू-कश्मीर)

शहीद नसीर अहमद 76वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. नसीर अहमद के आठ वर्षीय बेटे काशिफ ने कहा कि वह सेना में भर्ती होकर अपने अब्बू की शहादत का बदला जरूर लेगा. शहिद नसीर पिछले 22 साल से सीआरपीएफ में कार्यरत थे. नसीर अपने पीछे पत्नी शाजिया अख्तर, बेटी फलक और बेटे काशिफ को छोड़ गए हैं.

25. शहीद तिलकराज (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश)

शहीद तिलकराज 76वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. शहीद के भाई बलदेव ने चिता को मुखाग्नि दी. दो मई 1988 को जन्में तिलक 2007 में सीपीआरएफ में भर्ती हुए थे. वो अपने पीछे पत्नी सावित्री देवी और 22 दिन का बेटा छोड़ गए हैं. तिलक दो दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर लौटे थे.

26. शहीद रतन कुमार ठाकुर (भागलपुर, बिहार)

शहीद रतन कुमार ठाकुर 45वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. शहीद रतन ठाकुर 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. घर पर पत्नी राजनंदिनी देवी और चार साल का बेटा कृष्णा हैं. राजनंदिनी फिर मां बनने वाली हैं. पिता निरंजन कुमार ठाकुर शाम को बेटे के फोन का इंतजार कर रहे थे. सात बजे शाम को कंपनी कमांडर का फोन आया जिन्होंने परिवार को वो खबर दी जिसने झकझोर कर रख दिया.

27. शहीद संजय कुमार सिन्हा (पटना, बिहार)

शहीद संजय कुमार सिन्हा 176वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. संजय कुमार सिन्हा अपने पीछे अपने माता पिता और पत्नी बबीता देवी के अलावा दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए हैं. बबीता देवी को अपनी 22 साल की बेटी रूबी और 19 साल की छोटी बेटी की शादी की चिंता सता रही है. वहीं 17 साल का बेटा सोनू अभी पढ़ रहा है.

28. शहीद संजय राजपूत (बुलढाणा, महाराष्ट्र)

शहीद संजय राजपूत 115वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 49 साल के संजय राजपूत नागपुर में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. संजय राजपूत ने 20 वर्ष की सेवा पूरी कर ली थी, जिसके बाद उन्होंने सीआरपीएफ में अपनी सेवा पांच वर्ष के लिए और बढ़वा ली थी. उनके दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र 13 और 10 साल है.

29. शहीद राठौड़ नितिन शिवाजी (बुलढाणा, महाराष्ट्र)

शहीद राठौड़ नितिन शिवाजी कांस्टेबल पद पर तैनात थे. बुलडाणा जिला के लोणार तालुका चोरपांगरा गांव के नितिन शिवाजी राठोड के घर में उनकी पत्नी वंदना राठौड, बेटा जीवन, बेटी जीविका, मां सावित्री बाई, पिता शिवाजी राठौड, भाई प्रवीण और दो बहनें हैं. वह घर में अकेले कमाने वाले थे. साल 2006 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दोनों बच्चे अभी नाबालिग हैं.

30. शहीद अश्विनी कुमार काओची (जबलपुर, मध्य प्रदेश)

शहीद अश्विनी कुमार काओची 35वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 36 साल के अश्वनी परिवार में सबसे छोटे थे. घर में उनकी शादी की बात चल रही थी. आखिरी बार वो नवरात्र में घर आए थे.

31. शहीद सुदीप बिस्वास (नादिया, पश्चिम बंगाल)

शहीद सुदीप बिस्वास 98वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. सुदीप विश्वास के परिवार में पिता संन्यासी विश्वास, मां ममता विश्वास और एक छोटी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है. सुदीप विश्वास की शादी होने वाली थी. इसके लिए उनके पिता लड़की भी ढूढ़ रहे थे. एक महीने की छुट्टी लेकर पिछले दिसंबर महीने में सुदीप अपने घर आए थे. 15 जनवरी को फिर लौट गए. होली पर वो फिर से छुट्टी पर आने वाले थे.

32. शहीद बबलू सांत्रा (हावड़ा, पश्चिम बंगाल)

शहीद बबलू सांत्रा 35वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 39 साल के बबलू संतारा इस साल के आखिर में रिटायर होने वाले थे. इनके पीछे घर में उनकी पत्नी 1 साल की बच्ची और बूढ़ी मां है.

33. शहीद विजय सोरेंग (गुमला, झारखंड)

शहीद विजय सोरेंग 82वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. रांची एयरपोर्ट पर शहीद विजय सोरेंग के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी गई. सोरेंग ने दो शादियां की थी. दोनों से ही उनके तीन-तीन बच्चे हैं. 15 दिन की छुट्टी के बाद वो जम्मू-कश्मीर लौटे थे.

34. शहीद मानेश्वर बासुमतारी (बक्सा, असम)

शहीद मानेश्वर बासुमतारी 98वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. बसुमतारी अपने घरवालों के साथ एक महीने की अपनी छुट्टी बिताने के बाद 4 फरवरी को कश्मीर लौटे थे. पत्नी सन्मति बसुमतारी ने बताया कि जाते समय उन्होंने अचानक कहा था कि उनकी एक फोटो खींच लें. पता नहीं कब धमाके में उनकी मौत हो जाए. इनकी एक बेटी और एक बेटा है.

35. शहीद वसंथा कुमार वीवी (वायनाड, केरल)

शहीद वसंथा कुमार वीवी 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. वसंत की दो साल की नौकरी बची थी. परिवार में उनकी मां शांता और पत्नी शीना हैं. दो बच्चे हैं, 5 साल का बेटा अमनदीप और 8 साल की बेटी अनामिका.

36. शहीद सुब्रह्मण्यन जी (तूतीकोरिन, तमिलनाडु)

शहीद सुब्रह्मण्यन जी 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. पांच साल से सीआरपीएफ में भर्ती हुए सुब्रह्मण्यन की डेढ़ साल पहले शादी हुई थी. वो दो साल यूपी और दो साल श्रीनगर में रह चुके थे.

37. शहीद शिवचंद्रन सी (अरियायलुर, तमिलनाडु)

शहीद शिवचंद्रन सी 92वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए शिवचंद्रन की शादी 2014 में गांधीमती से हुआ था. इनका दो साल का एक बेटा था. जनवरी में वो छुट्टी पर घर आए थे.

38. शहीद गुरु एच (मांड्या, कर्नाटक)

शहीद गुरु एच 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. 7 साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए गुरु में देशभक्ति का जुनून था. इनके परिवार में मां-बाप और दो भाई हैं.

39. शहीद मनोज कुमार बेहरा (कटक, ओडिशा)

शहीद मनोज कुमार बेहरा 82वीं बटालियन में कांस्टेबल पद पर तैनात थे. मनोज बेहेरा की दो साल पहले ही शादी हुई थी. इस बीच उन्हें एक बेटी भी हुई. डेढ़ महीने की छुट्टी के बाद लौट रहे मनोज ने कहा था कि वापस आकर अधूरे घर को पूरी तरह बनवा देंगे.

40. शहीद पी के साहू (जगत सिंह पुर, ओडिशा)

शहीद मनोज कुमार बेहरा 61वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. प्रसन्न कुमार साहू की शहादत पर उनकी बेटी को गर्व है. उसका कहना है कि उनके पिता का देश के लिए कुछ करने का सपना था जिसे उन्होंने पूरा कर दिया

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