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उत्तर प्रदेश

अयोध्या बनी अप्रवासी भारतीयों के लिये आस्था का केन्द्र बिंदु

अयोध्या बनी अप्रवासी भारतीयों के लिये आस्था का केन्द्र बिंदु
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वासुदेव यादव

अयाेध्या। यह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के पावन जन्मभूमि अयाेध्या की ही मिट्टी है। जिसकी सुगन्ध राजकुमारी शर्मा, दवेन्द शर्मा, भरत, शर्मीला, तुलसीरानी शर्मा, फ्रांसिस अजीत कुमार, मास्टर सुभाष चन्द समेत न जाने कितने अप्रवासी भारतीयों को यहां अयोध्या में खींच लाती है। जाे हजाराें मील दूर सुदूर देश सिडनी, आस्ट्रेलिया से प्रतिवर्ष अपने आराध्य प्रभु श्रीराम काे नमन करने के लिए यहां खिंचे हुए चले आते हैं।

अयाेध्या इन अप्रवासी भारतीयों के दिलाें और मस्तक में ताे बसी ही है। साथ ही लगातार आस्था का केन्द्र भी बन रही है। यह अप्रवासी भारतीय हर वर्ष रामनगरी आकर श्रीराम महायज्ञ और रामकथा जैसे धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित हाे करके पुण्य के भागीदार बनते हैं। अयाेध्या के रामघाट माेहल्ले में एक प्रतिष्ठित श्री शनि संकटमाेचन मन्दिर है।

जिससे आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, फिजी समेत अन्य देशाें के अप्रवासी भारतीय भक्तगण जुड़े हैं। मन्दिर के संस्थापक पण्डित लल्लन तिवारी महराज हैं। जाे प्रतिवर्ष जनवरी माह एक बहुत ही वृहद श्रीराम महायज्ञ और रामकथा जैसे धार्मिक अनुष्ठान काे करते हैं। इस बार भी यह अनुष्ठान विगत 16 जनवरी से प्रारम्भ हाे गया है, जिससे काफी संख्या में अप्रवासी भक्तगण सम्मिलित हाे रहे हैं। साथ ही अमृतमयी श्रीरामकथा का रसास्वादन भी कर रहे हैं। शनिवार की सुबह श्रीराम महायज्ञ के तीसरे दिन यज्ञ मण्डप में अरणि मंथन के साथ अग्नि देव का प्राकट्य हुआ। तत्पश्चात दवेन्द शर्मा, राजकुमारी शर्मा, भरत, शर्मीला, तुलसीरानी शर्मा, फ्रांसिस अजीत कुमार, भगवती सिंह (रेनू), ललिता चन्द, सुप्रिया श्रेष्ठा मयूरी व मास्टर सुभाष चन्द समेत अन्य अप्रवासी भक्ताें ने यज्ञशाला में आहुतियां डाली। कार्यक्रम के व्यवस्थापक पण्डित लल्लन तिवारी ने बताया कि इस सात दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का समापन 22 जनवरी को पूर्णाहुति व विशाल भण्डारे के साथ हाेगा। श्रीराम महायज्ञ में 18 जनवरी से 22 जनवरी तक प्रतिदिन सुबह अप्रवासी भारतीय भक्ताें द्वारा यज्ञशाला में आहूति डाली जायेगी। इस माैके पर यज्ञाचार्य पण्डित सीताराम दास, उपाचार्य पण्डित राहुल पाठक, वैदिक सुधाकर शुक्ला व गाैरव तिवारी, सुमन मिश्रा और अरूण तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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