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उत्तर प्रदेश

डलमऊ तहसीलदार आवास पर "जल संरक्षण" के प्रति उदासीनता

डलमऊ तहसीलदार आवास पर जल संरक्षण के प्रति उदासीनता
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दीपक यादव

डलमऊ रायबरेली

जल संकट आज भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है। जिस भारत में 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से घिरा हो वहाँ आज स्वच्छ जल उपलब्ध न हो पाना विकट समस्या है, भारत में तीव्र नगरीकरण से तालाब और झीलों जैसे परम्परागत जल स्रोत सूख गए हैं। भारत में वर्तमान में प्रतिव्यक्ति जल की उपलब्धता दो हजार घनमीटर है लेकिन यदि परिस्थितियाँ इसी प्रकार रहीं तो अगले बीस पच्चीस वर्षों में जल की यह उपलब्धता घटकर पंद्रह सौ घनमीटर रह जायेगी. जल की उपलब्धता का 1,680 घनमीटर से कम रह जाने का अर्थ है।

पीने के पानी से लेकर अन्य दैनिक उपयोग तक के लिए जल की कमी हो जाना इसके उलट इसके जिम्मेदार अधिकारियों के नाक के नीचे ही बिगत कई माह से जल की बर्बादी डलमऊ के तहसीलदार आवास में बदस्तूर जारी है जहां एक तरफ पीने के पानी के लिए डलमऊ के मोहल्ला शेखवाड़ा जूझ रहा है वही तहसीलदार आवास मे पानी के पाइप लाइन को टूटे महीनो बीत जाने के बाद भी उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है वही इन्ही महानुभावों द्वारा समय समय पर जल के संरक्षण के लिए लोगो के प्रोत्साहन हेतु दिशा निर्देश जारी करना एक दिखावा मात्र ही समझा जाएगा इस प्रकार जल की बर्बादी प्रशासन को नहीं दिखाई पड़ती इसे समझना कतई मुश्किल काम नहीं है कि इस प्रकरण पर ऊपजिलाधिकारी जीतलाल सैनी से बात करने पर तत्काल कार्यवाही के लिए आश्वस्त कर उसे ठीक कराने को कहा।

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