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उत्तर प्रदेश

भारत में शिक्षा की क्रान्ति लाये थे मौलानाआज़ाद

भारत में शिक्षा की क्रान्ति लाये थे मौलानाआज़ाद
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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का पूरा नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन था। आपका जन्म 11 नवंबर 1888 ई० को अरब के पवित्र शहर मक्का में हुआ था।आप एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिज्ञ रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से एक थे। वे धारासन सत्याग्रह के अहम क्रांतिकारी थे। वे 1940-45 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था। कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे। स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी की स्थापना की।

गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही 'भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान' अर्थात 'आई.आई.टी.' और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकिसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।

केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सारभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की। आपने जीवन भर देश की शिक्षा के विकास और गंगा ज़मनी तहज़ीब के लिए काम किया। भारत सरकार ने 2008 से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के मनाने का आदेश जारी किया। भारत सरकार मौलाना आजाद के नाम पर ही अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति देती है। अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ में आपके नाम पर ही एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी मौलाना आजाद लाइब्रेरी है। मौलाना आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में किये गये इस कार्य को देश कभी नहीं भुला पायेगा।

. रिपोर्ट वारिस पाशा जनता की आवाज से बिलारी मुरादाबाद

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