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लखनऊ के रेस्टोरेंट मे बवाल: जांच में ASP पाया गया दोषी, DGP को भेजी गई रिपोर्ट

लखनऊ के रेस्टोरेंट मे बवाल: जांच में ASP पाया गया दोषी, DGP को भेजी गई रिपोर्ट
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लखनऊ। गोमतीनगर जनेश्वर मिश्र पार्क के पास स्थित रेस्टोरेंट में मारपीट प्रकरण की जांच में एडीजी कानून व्यवस्था के स्टॉफ अफसर राजेश सिंह दोषी पाए गए हैं। यह जांच रिपोर्ट एएसपी ग्रामीण डॉ गौरव ग्रोवर ने सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राजेश सिंह ने प्रकरण की सूचना स्थानीय पुलिस को सूचना देने के बजाय खुद ही रेस्टोरेंट में बवाल कर रहे थे। एडीजी जोन राजीव कृष्णा ने डीजीपी को रिपोर्ट भेजी है।

ये है मामला

दरअसल, 18 अक्टूबर की रात करीब 8:30 बजे एएसपी राजेश सिंह रेस्टोरेंट पहुंचे। उनका कहना था कि रेस्टोरेंट से चंद कदम दूर उनकी स्कार्पियो खड़ी थी। किसी ने पत्थर फेंककर मार दिया। जिससे गाड़ी का पिछला शीशा टूट गया। एएसपी ने रेस्टोरेंट में लगा सीसी कैमरा दिखाने की बात कही। इस पर वहां मौजूद त्रयंबक के भाई मयंक ने कर्मचारियों से सीसी कैमरा दिखाने को कहा। आरोप लगाया गया कि कुछ कर्मचारी एएसपी को सीसी फुटेज दिखा रहे थे। इस बीच एएसपी ने कर्मचारी राहुल को थप्पड़ मार दिया और धमकी देते हुए कहा कि तुम्हारा रेस्टोरेंट बंद करवा दूंगा। तुम मुझे जानते नहीं हो। इसके बाद उन्होंने फोन कर गोमतीनगर पुलिस को बुला लिया। थाने से इंस्पेक्टर अमरनाथ यादव और अन्य पुलिस कर्मी पहुंचे।

आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने वहां आते ही भाई मयंक से गाली-गलौज कर अभद्रता की। स्थानीय लोगों ने भी पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और हंगामा किया। इस बीच इंस्पेक्टर त्रिलोकी सिंह और सीओ चक्रेश मिश्रा पहुंचे। पीडि़त पक्ष ने पुलिस कर्मियों पर रेस्टोरेंट में रखी कुर्सियां फेंकने का आरोप भी लगाया है। क्षेत्रीय मंत्री के रेस्टोरेंट में पुलिस के उपद्रव की सूचना पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी पहुंचे। उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस उच्चाधिकारियों से करके आरोपित पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कराने की बात कही। सीओ चक्रेश मिश्रा ने बताया कि रेस्टोरेंट संचालक ने कोई तहरीर नहीं दी है। उधर, एएसपी राजेश सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका सीयूजी नंबर बंद मिला।

पुलिस की धमकी के कारण नहीं गए थे थाने

क्षेत्रीय मंत्री के भाई मयंक के मुताबिक, इंस्पेक्टर गोमतीनगर ने देख लेने की धमकी दी थी। धमकी से सभी डरे हुए हैं। क्योंकि थाने में पुलिस उनसे अभद्रता और मारपीट कर सकती है। इस कारण तहरीर लेकर थाने नहीं गए। तहरीर इंस्पेक्टर के सीयूजी नंबर पर वाट्सएप की गई है।

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