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उत्तर प्रदेश

बीएचयू में फिर बवालः बीते वर्ष हुए लाठीचार्ज का विरोध कर रही छात्राओं और छात्रों में झड़प

बीएचयू में फिर बवालः बीते वर्ष हुए लाठीचार्ज का विरोध कर रही छात्राओं और छात्रों में झड़प
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बीते 23 सितंबर की रात को महामना की बगिया(बीएचयू) में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन कर रही छात्राओं एवं अन्य छात्रों में रविवार की शाम महिला महाविद्यालय(एमएमवी) गेट पर नोकझोंक हो गई। लाठीचार्ज का विरोध कर रही छात्राओं और छात्राओं के इस प्रदर्शन का विरोध कर रहे छात्रों के बीच खूब नारेबाजी हुई।सूचना के मुताबिक कुछ लोगों में मारपीट भी हुई,पत्थर भी फेंके गए।

करीब आधे घंटे तक बीएचयू लंका गेट से लेकर एमएमवी तक अफरा तफरी रही। मौके पर पहुंचे सुरक्षाकर्मियों और चीफ प्रॉक्टर ने किसी तरह से मामला शांत कराया। हालांकि छात्राओं की ओर से चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ भी नारबाजी हुई।

नोकझोंक की शुरुआत बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर से हुई जहां शाम चार बजे के करीब एमएमवी की छात्राएं लाठीचार्ज के विरोध में नुक्कड़ नाटक करने पहुंची। नाटक के दौरान हमें चाहिए आजादी, और बीएचयू प्रशासन के खिलाफ नारे गूंजने लगे। तभी छात्रों का एक गुट वहां पहुंचा और छात्राओं का विरोध किया। हमें चाहिए आजादी के खिलाफ छात्रों ने वंदे मातरम के नारे लगाए। मामला गरम हुआ तो छात्राएं विश्वनाथ मंदिर से वापस एमएमवी चौराहे पर आ गईँ और सड़क पर विरोध जताना शुरु कर दिया।

हालांकि यहां पहले से तैनात सुरक्षाकर्मियों ने भरसक कोशिश किया कि छात्राएं प्रदर्शन न करें। महिला महाविद्यालय के मुख्य दरवाजे को भी बंद कर दिया गया, बावजूद इसके छात्राओं ने लाठीचार्ज के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। यहीं पर छात्रों के एक गुट ने विश्वविद्यालय के माहौल को खराब करने का आरोप लगाते हुए छात्राओं का विरोध करना शुरू कर दिया।

इसको लेकर दोनों छात्र गुटों में कई बार नोकझोंक भी हुई। मामले को बढ़ते देख भारी संख्या में पुलिस बल एवं सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए। विश्वविद्यालय के अधिकारी छात्र-छात्राओं को समझाने में लगे हैं।

महामना की बगिया बीएचयू रविवार को एक बार फिर सुलग उठी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुबह से शाम और फिर रात तक धरना-प्रदर्शन व बवाल चलता रहा। शाम को चार बजे एमएमवी पर शुरू हुआ हंगामा करीब छह बजे तक नोकझोंक व मारपीट में बदल गया। वहीं बीएचयू प्रशासन इसको रोकने में पूरी तरह एक बार फिर से विफल साबित हुआ।

प्राक्टोरियल बोर्ड को छोड़कर कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। बस बंद कमरों में बैठक पर बैठक होती रही। वहीं दूसरी ओर छात्र-छात्राओं का दो गुट आपस में भिड़ता रहा। बता दें कि बीत वर्ष 21 सितंबर को दृश्य कला संकाय की एक छात्रा के साथ छेड़खानी के विरोध में छात्राओं ने उसी रात त्रिवेणी संकुल के बाहर प्रदर्शन किया।

इसके बाद 22 सितंबर को सुबह छह बजे ही लंका गेट पर धरने पर सैकड़ों छात्राएं धरने पर बैठ गई। उनकी मांग थी कि विश्वविद्यालय के कुलपति आकर उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करें। तमाम मांगों के बावजूद भी कथित सलाहकारों के कारण कुलपति धरने पर बैठी छात्राओं के बीच नहीं पहुंचे। इसके बाद धरना बढ़ते गया और धीरे-धीरे राजनीतिक रूप भी धारण कर लिया था।

हालांकि 23 की रात को धरना समाप्त हो गया और छात्राएं महिला महिला महाविद्यालय गेट पर आकर प्रदर्शन करने लगी। 23 सितंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर थे। 23 सितंबर की हुई घटना के बाद कुलपति तो चले गए लेकिन आज तक इस घटना को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। इस मसले को लेकर करीब एक माह तक पूरे देश में माहौल गरम रहा था।

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