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उत्तर प्रदेश

प्रो-टेम स्पीकर चाहे तो ये कर सकता है

प्रो-टेम स्पीकर चाहे तो ये कर सकता है
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चूंकि शनिवार को होने फ्लोर टेस्ट में येदुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आठ वोटों की और जरूरत होगी तो उन्हें स्पीकर के तौर पर ऐसे शख्स की जरूरत होगी, जो उनके लिए सुविधाजनक हो और दल बदल कानून की शिकायतों से भी बचा सके.
अगर स्पीकर चाहे तो व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करने वाले या दलबदल कर दूसरी पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों की अयोग्यता पर लंबे समय तक फैसला टाल सकता है. ऐसा ही काम कर्नाटक की पूर्व विधानसभा के स्पीकर ने भी किया था. एेसे ही वाकये आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी हो चुके हैं. सत्ताधारी पार्टी की सुविधा के लिए स्पीकर अपने फैसले को लंबे समय तक टालते ही रहे या फिर फैसला दिया ही नहीं.
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