माँ ... मुझसे हमेशा, ....कहती रहती है : विकास तिवारी की कविता....
BY Anonymous13 May 2018 6:56 AM GMT
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Anonymous13 May 2018 6:56 AM GMT
वो मुझसे हमेशा, ये कहती रहती है।
तेरी सेहत, देख कैसी हो गयी है।
तू ठीक से खाया पिया कर,
और मुस्कुरा कर की-
"अरे मेरा बेटा तो बड़ा हो गया है"।
लेकिन खुद का किस्सा ,
वो कभी नही कहती।
सब का, सब कुछ बता कर,
अपने पर, वो सदैव ही चुप रहती है।
क्या ये सब मेरे सब्र की इन्तेहाँ है।
खुदा से बढ़कर, खुदाई जिसकी
वो और कौन, मेरी माँ है।
तीर से शब्दों को भी,
वो हँसकर सुनती है।
फिर भी बात भले की,
हमेशा वो कहती है।
जो सीने में जख्म कर दे,
वो दर्द भी, वो सहती है।
शहद से भी मीठी, जिसकी जुबाँ है।
वो और कौन, मेरी माँ है।
खुद को तो वो जानती ही नही।
अपने लिए वो कुछ मांगती ही नही।
बेटे के लिए अपने वो,
अपने आप मे एक कारवां है।
इतिहास बदल के रख दे जो
ऐसी उसकी दास्ताँ है।
वो कोई और नही, मेरी माँ है।
और
"इस बात का मुझे गुमाँ है,
की मेरे पास माँ है"।
विकास तिवारी की कविता....
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