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उत्तर प्रदेश

आइएएस-आइपीएस में अहं का टकराव और अधिक बढ़ने के संकेत

आइएएस-आइपीएस में अहं का टकराव और अधिक बढ़ने के संकेत
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लखनऊ - गौतमबुद्ध नगर में थानेदारों की नियुक्ति को लेकर डीएम और एसएसपी के बीच उठे विवाद ने यह संकेत दे दिया है कि अधिकारों को लेकर आइएएस और आइपीएस कैडर में तल्खी और बढ़ती जा रही है। हालांकि इस मामले में डीजीपी के दखल के बाद आइपीएस एसोसिएशन ने चुप्पी साध ली है। आइएएस एसोसिएशन भी खामोश है लेकिन, आने वाले दिनों में कुछ अन्य जिलों में इन दोनों प्रमुख पदों के अंतर्विरोध मुखर हो सकते हैं। माना जा रहा है कि आइपीएस एसोसिएशन अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली की अपनी पुरानी मांग पर फिर जोर बनाएगा।
प्रदेश में इससे पहले भी आइएएस और आइपीएस में अहं का टकराव सामने आता रहा है। इससे पहले कानून व्यवस्था की बैठक में जिलाधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के शासनादेश पर भी आइपीएस एसोसिएशन ने कड़ा एतराज जताया था। हालांकि सिस्टम में यह व्यवस्था पहले से ही थी लेकिन, भाजपा सरकार बनने के बाद नए सिरे से शासनादेश जारी होते ही आइपीएस एसोसिएशन ने मुखर प्रतिक्रिया जताई थी। थानेदारों की नियुक्ति में जिलाधिकारी का अनुमोदन भी कोई नया आदेश नहीं है लेकिन, नए सिरे से शासनादेश जारी होने के बाद अंतत: गौतम बुद्ध नगर में डीएम और एसएसपी के बीच विवाद खड़ा ही हो गया।

गौरतलब है कि जिले में डीएम और पुलिस कप्तान ही दो प्रमुख पद होते हैं और इनकी परस्पर सहमति से ही कानून व्यवस्था के मुद्दों पर निर्णय होता रहा है। कानून व्यवस्था का मुखिया डीएम होता है लेकिन, आम तौर पर थानेदारों की नियुक्ति जैसे मामलों में वे हस्तक्षेप नहीं करते। कप्तान के फैसलों को ही अनुमोदित कर देते हैं। अब जब डीएम ने अपने अधिकारों के तहत सूची पहले मांगने शुरू की है तो यह पुलिस अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप जैसा प्रतीत हो रहा है और यही विवाद की मूल वजह भी है। दोनों कैडर के बीच तल्खी किस हद तक बढ़ चुकी है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आइएएस और आइपीएस के क्रिकेट मैच में जीतने के बाद कुछ अधिकारियों ने ट्विटर पर अपना डीएनए बेहतर बताया था। जवाब में आइएएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। हालांकि बाद में इस तल्खी का पटाक्षेप हो गया था।
मूल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की मांग
आइएएस-आइपीएस कैडर की तल्खी के मूल में प्रदेश में अरसे उठ रही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मांग भी है। देश के कई राज्यों में यह व्यवस्था लागू है लेकिन, उत्तर प्रदेश में आइएएस लॉबी के विरोध के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका। दस लाख से अधिक आबादी वाले नगरों में पुलिस कमिश्नर की तैनाती की जा सकती है। इस व्यवस्था में बहुत से ऐसे अधिकार पुलिस अफसरों के पास आ जाएंगे जो वर्तमान में मजिस्ट्रेट के पास हैं। इनमें भीड़ पर लाठीचार्ज, फायरिंग, धारा 144, होटल बार लाइसेंस, आम्र्स लाइसेंस जारी करने आदि हैं। हाल ही में आइपीएस एसोसिएशन ने अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मांग की थी। डीजीपी ओपी सिंह ने भी पदभार ग्रहण करते समय कहा था कि वह ऐसा चाहते हैं।
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