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अमेरिकी फर्म को अंदेशा- 2019 में अपने बूते नहीं आ पाएगी भाजपा सरकार

अमेरिकी फर्म को अंदेशा- 2019 में अपने बूते नहीं आ पाएगी भाजपा सरकार
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लोकसभा चुनाव 2019 में अभी एक साल का वक्‍त बचा है, लेकिन चुनाव से जुड़े पंडित अभी से ही आगामी सरकार को लेकर अटकलें लगाने लगे हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी के फिर से अपने दम पर सत्‍ता में आने को लेकर कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। अमेरिकी फर्म मॉर्गन स्‍टैनली ने वर्ष 2019 में केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार बनने की संभावना जताई है। कंपनी की रिपोर्ट की मानें तो अगले साल कोई पार्टी अपने बूते सरकार नहीं बना पाएगी। ऐसे में भाजपा भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी। वॉल स्‍ट्रीट की ब्रॉकरेज कंपनी के अनुसार, गठबंधन की कमजोर सरकार निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चिंता है। मॉर्गन स्‍टैनली का कहना है कि बाजार का रुख आगामी आम चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह आशावादी नहीं रहेगा। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र चुनाव से महज 12 महीने दूर है। ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में बाजार में चुनाव परिणाम को लेकर कयासबाजी शुरू होने की संभावना है। बाजार हमेशा मौजूदा से ज्‍यादा मजबूत सरकार की उम्‍मीद के साथ चुनाव में जाता है। लेकिन, वर्ष 2019 के चुनावों में यह लागू नहीं होगा, क्‍योंकि अगले साल वर्तमान से कमजोर सरकार बनने की संभावना है।'

बाजार में नहीं दिखेगा उत्‍साह: मॉर्गन स्‍टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार बनने की संभावनाओं के बीच बाजार में आशा और उम्‍मीद रहने की संभावना बेहद कम है। अमेरिकी फर्म ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2019 में बाजार का माहौल साल 2014 के आम चुनावों से पहले जैसा नहीं रहेगा। र्मार्गन स्‍टैनली ने पिछले पांच आम चुनावों के आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला है। कंपनी का कहना है कि 90 के दशक के मध्‍य से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव में नहीं गई है।

मोदी सरकार के पक्ष में हैं इंडीकेटर्स: रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सरकार और बाजार को लेकर उम्‍मीद भी जताई गई है। अमेरिकी कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है, 'मौजूदा हालात का आकलन किया जाए तो तमाम इंडीकेटर्स मौजूदा सरकार के पक्ष में हैं। विकास की संभावना दिखने लगी है। किसानों की स्थिति में भी सुधार आने की संभावना है और रोजगार के अवसर भी लौटने लगे हैं। हालांकि, आने वाले कुछ महीनों में इंडीकेटर्स में बदलाव आ सकते हैं और उसके साथ ही चुनाव के परिणाम भी निर्धारित होंगे।'

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