Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न न देना एक राजनीतिक साजिश है

मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न न देना एक राजनीतिक साजिश है
X
जब देश आजाद भी नहीं हुआ था, उस समय दुनिया में भारत की पहचान हॉकी और मेजर ध्यानचंद की वजह से होती थी। वह हमेशा से ही देश की प्रेरणा रहे हैं, लेकिन देश की आजादी के बाद से आज तक हॉकी और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद हमेशा ही उपेक्षित रहे। देश की सरकारों का ध्यान नहीं गया। उनको भारत रत्न न देना एक राजनीतिक साजिश है। यह बातें गुरुवार को अलीगढ़ आए मेजर ध्यानचंद के पुत्र और अर्जुन अवार्डी ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने कही। उन्होंने सभी सरकारों पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें तो बहुत पहले भारत रत्न दे दिया जाना चाहिए था।
डीएस कॉलेज में बेटी बचाओ, बेटी खिलाओ, राष्ट्र गौरव बढ़ाओ के तहत महिलाओं की हॉकी प्रतियोगिता के आयोजन के लिए समिति के अन्य सदस्यों के साथ तैयारियों का जायजा लेने अलीगढ़ आए अशोक ध्यानचंद ने बताया कि मेजर ध्यानचंद को दुनिया में लगभग 55 देशों में 400 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद जितना अपने खेल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध रहे हैं। उतना ही वे हिटलर की पेशकश ठुकराने की वजह से भी रहे हैं। बात 1936 की है, बर्लिन ओलंपिक खेलों के दौरान जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उनके खेल से प्रभावित होकर जर्मनी की सेना में सबसे ऊंचे पद का प्रस्ताव दिया, लेकिन मेजर ध्यानचंद ने उसे अपने देश भारत के लिए ठुकरा दिया।
हालांकि उन्हें 1956 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया और उनके जन्मदिन को देश में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद भी उन्हें भारत रत्न देने के लिए अब तक की सरकारों ने कोई खास प्रयास नहीं किया। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न मिलना भी एक तरह का विवाद है। हालांकि सचिन तेंदुलकर को इसमें दोषी नहीं माना जा सकता। क्योंकि उन्होंने क्रिकेट के जरिए देश का काफी नाम किया है, लेकिन सरकार को उनको भारत रत्न देने की घोषणा करने से पहले ध्यानचंद और उनके हॉकी के योगदान पर जरूर सोचना चाहिए था।
आगे कहा कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न न दिया जाना एक राजनीतिक साजिश है। क्योंकि वे किसी एक के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा थे। उनको खेल रत्न दिए जाने के लिए खिलाड़ियों ने काफी आंदोलन भी किए और मांगें भी उठाईं, लेकिन किसी भी सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इससे खेल प्रेमियों में काफी निराशा है।
बेटियों को आगे लाने के लिए किया जा रहा है हरसंभव प्रयास
उन्होंने कहा कि आज के समय में देश में पुरुषों की टीम है, लेकिन महिलाओं की टीम उतनी सक्रिय नहीं है। दूसरी ओर पूरे देश में यहीं स्थिति है कि हॉकी के खेल में कम ही बेटियां आती हैं। ऐसे में इसको बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। अलीगढ़ में अक्टूबर में पूरे देश से महिला खिलाड़ियों की टीमों को बुलाया जाएगा। इससे कम से कम बेटियों का हॉकी के प्रति रुझान बढ़ेगा और वे आगे आएं। वहीं ऐसे आयोजन भी समय-समय पर हर जगह कराए जाते रहेंगे।
Next Story
Share it