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उत्तर प्रदेश

भाजपा और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी क्यों है गुजरात की सत्ता?

भाजपा और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी क्यों है गुजरात की सत्ता?
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गुजरात विधानसभा चुनाव इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सबसे बड़ी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी की बदली हुई भूमिका है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में यह पहला विधानसभा चुनाव है। वहीं, राहुल गांधी के लिए यह चुनाव बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पहली अग्निपरीक्षा है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद से ज्यादातर राज्यों में भाजपा को जीत दिलाने वाले अमित शाह के लिए भी अपने गृहराज्य का चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। राज्य में पिछले डेढ़ महीने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी।
केंद्र में आने के बाद भाजपा ने कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई है। वह उत्तरपूर्व तक में सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। अब गुजरात जीतने की चुनौती है। दूसरी तरफ पिछले 22 साल में कांग्रेस पहली बार मजबूती से चुनाव लड़ती नजर आ रही है। चुनाव की कमान नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाली। कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी जमकर प्रचार किया।
भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही
गुजरात में पिछले 22 साल से राज कर रही भाजपा किसी भी कीमत पर कमतर साबित नहीं होना चाहती। इसलिए प्रचार के लिए तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा गया। दरअसल, मोदी के गुजरात से दिल्ली जाने के बाद न केवल गुजरात भाजपा में एक रिक्तता आई है, बल्कि राज्यस्तरीय शासनतंत्र में भी मोदी की कमी महसूस हुई है। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन साल में ही राज्य में दो बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े हैं।
लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं
कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिवसेना और जदयू भी भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में हैं। हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकुर ने भी लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। 182 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के लिए मौजूदा 122 सीटें बचाने के साथ ही विकास के गुजरात मॉडल का किला सहेजकर रखना भी चुनौती है। गुजरात के इसी मॉडल के बलबूते भाजपा ने केंद्र के साथ कई राज्यों में सत्ता पाई है।
ये चुनाव महत्वपूर्ण होने की पांच वजह
1: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बदली भूमिका
2012 के चुनाव में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनके राज्य की राजनीति छोड़कर देश की कमान संभालने के बाद गुजरात में यह पहला विधानसभा चुनाव है। गृहराज्य होने की वजह से यहां के चुनावी नतीजों का उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ना स्वाभाविक है। मोदी जिस तरह प्रचार में जुटे रहे हैं, उससे साफ है कि वे मुख्यमंत्री भले ही न हों, लेकिन पार्टी का चेहरा वही हैं।
2: राहुल गांधी की बढ़ी जिम्मेदारी
राहुल गांधी के लिए भी गुजरात चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा है। उनको कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के दौरान गुजरात पहला राज्य है, जहां चुनाव हो रहा है। 2012 में गुजरात चुनाव में सोनिया गांधी ने कमान संभाली थी, जबकि इस बार कमान पूरी तरह राहुल के हाथ में है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल की राज्यसभा चुनाव में जीत ने यहां कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है।
3:अमित शाह की प्रतिष्ठा का सवाल
गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का भी गृहराज्य है। शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते ही भाजपा ने 17 राज्यों में चुनाव लड़े और चंद राज्यों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में जीत दर्ज की। ऐसे में अमित शाह नहीं चाहते कि गुजरात में कहीं कोई खामी रह जाए।
4: युवा नेताओं की दस्तक
गुजरात चुनाव में इस बार हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवानी जैसे युवा नेताओं ने भी दस्तक दी है। हार्दिक के पाटीदार आंदोलन, अल्पेश के ओबीसी मंच और जिग्नेश के दलित मुद्दे ने कहीं न कहीं भाजपा के लिए चुनौती खड़ी की है। गुजरात में करीब 40% ओबीसी, 12% पटेल और 7% दलित मतदाता हैं। इनकी कुल तादाद 59% होती है। पिछले चुनावों पर नज़र डाली जाए तो ओबीसी और पटेल मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ रहा है।
5. आम चुनाव का सेमीफाइनल
गुजरात चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के कारण भी महत्वपूर्ण हो गया है। अगर कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है और अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने में कामयाब रहती है तो राष्ट्रीय स्तर पर भी उसे फायदा संभव है। दूसरी तरफ यदि भाजपा अपने विजय अभियान को जारी रखती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उसे इसका फायदा मिलेगा।
प्रचार में छाए मुद्दे
1: राहुल गांधी ने पूरे प्रचार अभियान के दौरान हर रोज गुजरात से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री से एक सवाल पूछा
2: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मणिशंकर अय्यर की विवादित टिप्पणी को लेकर जमकर बवाल मचा
3: भाजपा ने गुजरात के विकास मॉडल को मुद्दा बनाया। इस पर दोनों दलों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप भी जारी रहे
4. राहुल गांधी का विभिन्न मंदिरों में जाना भी खासा चर्चा का विषय बना। इसे कांग्रेस के नरम हिंदुत्व की तरफ झुकने का संकेत माना गया
5. गुजरात चुनाव में पाकिस्तान का दखल भी बड़ा मुद्दा बना। 2014 के बाद से गुजरात 18वां राज्य है, जहां चुनाव हो रहे हैं। इनमें से 13 राज्यों में पाकिस्तान चुनावी मुद्दा बन चुका है।
अखिलेश भी प्रचार में पहुंचे
एनसीपी से शरद पवार, शिवसेना से उद्धव ठाकरे, सपा से अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी से गोपाल राय जैसे नेता चुनाव प्रचार के लिए गुजरात पहुंचे। गुजरात में राकांपा ने 28, बसपा ने 75, आप ने 8, शिवसेना ने 17, जदयू ने 14 और सपा ने 5 उम्मीदवार उतारे हैं।
2002 में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें
भाजपा ने 2002 के चुनाव में 127 सीटें, 2007 में 117 सीटें और 2012 में 116 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 1985 में सबसे ज्यादा 149 सीटें मिली थीं। 1985 में 55.6% वोट पाने वाली कांग्रेस का 2012 में ग्राफ 38.9% तक पहुंच गया। इस दौरान भाजपा का ग्राफ 15% से 48% तक पहुंच गया।
मोदी के नेतृत्व में तीन चुनाव जीते
नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा ने राज्य में 2002, 2007 और 2012 का चुनाव जीता था। इससे पहले केशुभाई के नेतृत्व में भाजपा जीती थी।
ये दो सीटें भाजपा कभी नहीं जीती
राजकोट जिले की जसदान और तापी की व्यारा विधानसभा सीट भाजपा कभी नहीं जीती। गुजरात के गठन के बाद से ही इन सीटों से हमेशा लोगों ने गैर-भाजपा उम्मीदवार को ही विधानसभा भेजा है। बीते 52 साल में हुए 12 विधानसभा चुनावों में यहां जनसंघ या भाजपा को कभी जीत नहीं मिली।
पहले चरण का हाल
पहले चरण में 182 में से 89 सीटों पर चुनाव हुआ है। पहले चरण में मुख्यमंत्री विजय रुपानी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघाणी समेत कुल 977 उम्मीदवार थे। इसके लिए 66.75 प्रतिशत मतदान हुआ था जो पिछली बार से 4 प्रतिशत कम है।
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