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उत्तर प्रदेश

सी एम योगी के दावों को कलम की नोक पर रखते हैं ई ओ पवन कुमार : अनुराग गुप्ता

सी एम योगी के दावों को कलम की नोक पर रखते हैं ई ओ पवन कुमार : अनुराग गुप्ता
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बोर्ड मंजूरी बिन करोड़ों के कराये कार्य

बहराइच । सबका साथ सबका विकास और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन जैसे नारों के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सत्ता पर कब्जा तो पा लिया लेकिन अपने भृष्ट अधिकारियों की कार्यशैली पर अंकुश लगा पाने में असफल दिख रही है । नौ माह के शासन काल में ही नगर पालिका अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक / अधिशाषी अधिकारी ने भृष्टाचार की सारी सीमायें ही लांघ गए । पूर्व नपाध्यक्ष द्वारा विभिन्न मदों में एकत्रित किये गए अतिआवश्यक बजट को दीमक की तरह चट करना नही भूले । अधिशाषी अधिकारी पवन कुमार द्वारा अपना माल समझ कर दोनों हाथों से फिजूल के कार्यों में धन खर्च करने का मामला प्रकाश में आया है । सूत्रों की माने तो अधिशाषी अधिकारी पवन कुमार जबसे प्रशासक की कुर्सी पर जमे हैं तभी से उनकी वक्रदृष्टि वहां मौजूद बजट पर पड़ी हुई है और वे इस धन को पूरी तरह से चट करने की जुगत में दिनरात जी जान से जुटे हुए हैं तभी तो पालिका में बने अधिशाषी अधिकारी का कक्ष को भव्य सुन्दरीकरण के साथ ही सुसज्जित सुविधाओं वाला कार्यालय बनाया जा रहा है । उक्त कक्ष को साहब ने सर्वप्रथम अपने चैम्बर को दुरुस्त कराना मुनासिब समझा यहाँ यह बताना जरुरी है कि फिलहाल अधिशाषी अधिकारी के कक्ष में सारी व्यवस्थाएं पहले से ही मौजूद हैं किन्तु साहब को वहां को डेंटिंग पेंटिंग रास नही आई और जो बजट मौजूद था श्रीमान ने तत्काल नए अध्यक्ष के शपथ से पहले ही इस्तेमाल कर लेना उचित समझा । अब जब दफ्तर की पेंटिंग होनी है तो लगे हाथ टाइल्स भी लग गयी छत में प्लास्टर पेरिस की नक्कासी भी बन गयी । नपा के पोर्टिको से सटे लान के चारो तरफ पहले से लोहे की क्षणिकाएँ लगी हुई थी जिन्हें कमीशन के चलते लम्बी लम्बी करवा दिया गया है । पालिका परिसर में अनावश्यक प्लास्टर पेरिस कार्य अपने कमीशन खोरी की दास्तां अभी से ही बयां करने लगे हैं । सत्तापक्ष के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि शहर में दूरदराज ग्रामीण अंचलों से पुरुष व महिलाएं रोजाना भारी तादाद में आते जाते हैं जिनके लिए मूत्रालयों के निर्माण की महती आवश्यकता थी किन्तु अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति और तानाशाही में मस्त और बेलगाम हो चुके अधिशाषी अधिकारी मूलभूत सुविधाओं के स्थान पर अपने ऐशोआराम के कार्य को प्राथमिकता दिया जाना वह भी तब जब निकाय चुनाव के बाद नए अध्यक्ष के शपथ ग्रहण निकट हो । जो एक लोकसेवक को शोभा नही देता । नगर पालिका एक स्वायत्त संस्था है। इसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में किसी भी निर्माण अथवा विकास के कार्यों के लिए प्रस्ताव की स्वीकृति नगर पालिका बोर्ड के माध्यम से ही की जा सकती है। सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार नगर पालिका का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भंग हो चुके बोर्ड से कोई प्रस्ताव पास नहीं किया जा सकता था और जिन कार्यों का निर्माण और शिलान्यास कराया गया है, उसकी मंजूरी नगर पालिका भंग होने से पहले भी नहीं ली गई थी। इसके बावजूद नगर पालिका के ईओ और अवर अभियंता ने एक बड़ा खेल खेलते हुए अपने कुछ चहेतों को बिना बोर्ड के ही करोडों रुपये की धनराशि के कार्यों को मंजूर करते हुए बिना टेंडर करवा दिया ।

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