Home > राज्य > उत्तर प्रदेश > Diwali Special: इस शुभ मुहूर्त में करें महालक्ष्मी का पूजन, घर और ऑफिस में पूजा का अलग-अलग है समय
Diwali Special: इस शुभ मुहूर्त में करें महालक्ष्मी का पूजन, घर और ऑफिस में पूजा का अलग-अलग है समय
BY Anonymous18 Oct 2017 11:44 PM GMT
X
Anonymous18 Oct 2017 11:44 PM GMT
दीपावली का शुभ पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। पूजन का मुख्यकाल प्रदोषकाल होता है। जिसमें स्थिर लग्न की प्रधानता होती है। आचार्य सत्येंद्र अग्निहोत्री ने बताया कि प्रदोषकाल में स्थिर लग्न की प्रधानता होती है। अत: वृष, सिंह, कुंभ लग्न में दीपावली का पूजन करना चाहिए।
ऑफिस की पूजा- कुंभ लग्न में दोपहर 2:38 से शाम 4:09 बजे तक की जा सकती है।
घर की पूजा- वृष लग्न रात 7:14 से रात 9:10 बजे तक है। जो पूजन का उत्तम समय है।
महानिशीथ काल-सिंह लग्न में रात 1:42 से रात 3:56 बजे तक दीपावली का पूजन होगा।
पूजन
वास्तु विशेषज्ञ ने बताया कि महालक्ष्मी की आराधना अत्यंत सरल और सुगम होती है। अपनी क्षमता के अनुसार चांदी, तांबा या स्टील का पात्र लें। पात्र से तात्पर्य एक कटोरे से है। पात्र के भीतर लाल वस्त्र बिछाकर उसमें इत्र की सुंगध दें। इसके बाद इन्हीं धातुओं के बने 11 सिक्कों में उनको स्थापित कर दें। पूजा किया हुआ यह पात्र दक्षिण दिशा में रख तिजोरी या अलमारी में स्थापित करें। इसके बाद उसी पात्र में वर्ष भर धन, धान्य रखें। आप देखेंगे कि सालभर के भीतर लक्ष्मी की कृपा बरसेगी। इसका वैज्ञानिक कारण भी है। दक्षिण में तिजोरी रखने पर कुबेरजी अवश्य देखते हैं क्योंकि कुबेर का स्थान उत्तर में होता है। ऐसे में जब वह तिजोरी को देखेंगे तो उसमें बढ़ोत्तरी होगी।
पूजन सामग्री
पूजा पर बैठने से पहले पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्र कर लें। महालक्ष्मी के पूजन के लिए रोली, कलावा, अक्षत, पान, सुपारी, धूप, घी और तेल के दीपक, बताशे, चंदन, घंटी, गंगाजल, कलश, लक्ष्मी-गणेश का मूर्ति, जनेऊ, कुमकुम, नैवेद्य, फूल, फल, कर्पूर, नारियल, दूर्वा, कैथा, माला आवश्यक है।
पूजन विधि
सबसे पहले एक चौकी लेकर उसमें एक लाल रंग का नया कपड़ा बिछाएं। इसके बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें। चौकी के दांई ओर घी की दीपक जलाकर पूजन प्रारंभ करना चाहिए। सबसे पहले स्वस्तिवाचन करें। गणेशजी का ध्यान करें। चौकी के पास ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापित करें। नव ग्रहों का पूजन करें। इसके बाद महालक्ष्मी का पूजन करें। साथ ही, कुबेर का भी पूजन करें। परिजनों के साथ मिलकर गणेशजी और लक्ष्मीजी की आरती करें। आरती के बाद पूजा में होने वाली त्रुटियों केलिए क्षमा प्रार्थना करें। पूजन के बाद सभी बड़ों के चरण स्पर्श करें।
धन प्राप्ति मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं श्रीं महालक्ष्मी नमः
विद्या प्राप्ति मन्त्र
ॐ ऐं
व्यापार वृद्धि
ॐ गं गं श्रीं श्रीं श्रीं मातृ नमः
Next Story