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उत्तर प्रदेश

अन्नपूर्णा मंदिर को गुप्तदान में मिले तीन चाँदी के द्वार

अन्नपूर्णा मंदिर को गुप्तदान में मिले तीन चाँदी के द्वार
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धनतेरस के दिन जब आप माता अन्नपूर्णा के मंदिर में स्वर्ण विग्रह के दर्शन को जाएंगे तो मंदिर गर्भगृह के तीनों दरवाजे चांदी के पाएंगे। ये रजत दरवाजे एक दक्षिण भारतीय भक्त ने गुप्तदान में दिए हैं।
इन रजत द्वारों को सोमवार को भक्तों के लिए मंदिर खुलने से पूर्व ही पुराने दरवाजों के स्थान पर लगा दिया गया। इन दरवाजों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। गर्भगृह के मुख्यद्वार पर करीब छह फुट लंबा दरवाजा लगाया गया है। इस दरवाजे को डिजाइनिंग के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया गया है। दरवाजे के ऊपरी और निचले हिस्से में कमल पुष्प को खूबसूरत आकृति दी गई है जिसके ऊपर कई मंगल चिह्न अंकित हैं। दरवाजे के मध्य में भगवान शंकर माता अन्नपूर्णा से भिक्षा ग्रहण करते हुए दिखाई दे रहे हैं। गर्भगृह में लगाए गए शेष दो द्वार एक जैसी नक्काशी वाले हैं।
अन्नपूर्णा मंदिर के उप महंत शंकर पुरी के अनुसार रजत द्वार लगने से ठीक एक दिन पूर्व विश्वनाथ मंदिर के एक द्वार की डेहरी चांदी से मढ़वाई गई थी। ऐसा हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह के सभी दरवाजे चांदी के हो गए। इससे शास्त्रों में वर्णित तथ्य प्रमाणित हो रहे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि कलियुग में शिव नगरी काशी का विस्तार अन्नपूर्णा पुरी के रूप में होगा।
उन्होंने बताया कि तामिलनाडु के एक भक्त ने 21 कुंतल चांदी से एक रजत चित्र और तीन द्वार बनवाए हैं। करीब सात फुट ऊंचे रजत चित्र को गर्भगृह के बायें ओर लगाया गया है। इस रजत चित्र में भगवान शंकर माता अन्नपूर्णा से भिक्षाग्रहण करते हुए दिख रहे हैं। इन सभी रजत कृतियों का निर्माण मदुरै के 18 से अधिक कारीगरों ने छह माह में किया है।
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