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उत्तर प्रदेश

गठबंधन न होने की दशा मे पश्चिमी उ. प्र. मे सपा के सामने उत्पन्न होने वाली चुनौतियाँ एवं उसका समाधान

गठबंधन न होने की दशा मे पश्चिमी उ. प्र. मे सपा के सामने उत्पन्न होने वाली चुनौतियाँ एवं उसका समाधान
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के रूप मे इतना काम तो कर दिया है कि सभी विपक्षी दलों की लड़ाई हर सीट पर सपा से ही होगी। कहीं पर भारतीय जनता पार्टी और कहीं पर बसपा के उम्मीदवार उसके सामने चुनौती प्रस्तुत करेंगे। यह सीटें सपा जीत भी सकती है, बशर्ते वह निष्क्रिय, विवादित और जनता के साथ अन्याय करने वाले प्रत्याशियों को टिकट न देती। समाजवादी पार्टी मे हर विधानसभा मे एक से अधिक उम्मीदवार हैं। उन्हे टिकट देकर सीटें जीती जा सकती हैं।

गठबंधन न होने की दशा मे सबसे अधिक नुकसान समाजवादी पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे उठाना पड़ेगा। यह तय है। उसका कारण साफ है कि इस क्षेत्र मे राष्ट्रीय लोकदल एवं कांग्रेस का प्रभाव अधिक है। इस क्षेत्र मे करीब 50 सीटें ऐसी हैं, जिन पर गठबंधन के साथ जीत सुनिश्चित थी। इसके अलावा बाकी के सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल एवं कांग्रेस के उम्मीदवार भी जीत दर्ज कर लेते। जब यह गठबंधन नहीं हो सका है, ऐसी दशा मे इस क्षेत्र मे समाजवादी पार्टी को तीन मोर्चे पर एक साथ संघर्ष करना पड़ेगा। इस त्रिकोणीय संघर्ष मे कांग्रेस को बहुत लाभ होता नहीं दिखता है। भाजपा भी अधिकांश सीटों पर वोट तो बटोर सकती है, पर जीत नहीं दर्ज कर सकती है। सबसे अधिक लाभ बसपा के खाते मे जाने कि संभावना है।

अब सवाल यह पैदा होता है कि समाजवादी पार्टी इस क्षेत्र मे संभावित हार को कैसे रोके ? उसके लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं –

1. स्थानीय, क्षेत्रीय और उल्लेखनीय कार्यों का घर-घर प्रचार – समाजवादी पार्टी यदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों को जीतना चाहती है,तो उसे अपने सभी नेताओं को एक ऐसी लिस्ट देनी पड़ेगी, जो कम से कम तीन भागों मे विभाजित हो। पहले भाग मे वे उन कार्यों का वर्णन हो, जो उस विधान सभा क्षेत्र मे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्थानीय मंत्रियों द्वारा कराये गए हैं । दूसरी सूची मे उन कामों का वर्णन होना चाहिए, जो पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे हुये हैं। इसमें अपेक्षाकृत बड़े काम हों, जिनका उपभोग कभी-कभार वे भी करते हों। तीसरी सूची मे उन कामों को लेना पड़ेगा जो प्रदेश स्तर हुये हैं, और उल्लेखनीय हैं । प्रचार के समय नेताओं को पहले उन कामों की चर्चा करनी होगी, जो जिनका प्रत्यक्ष लाभ उन्हे मिला है, इसके बाद क्षेत्रीय और प्रदेश के उल्लेखनीय कार्यों का वर्णन करना होगा।

2. समाजवादी पेंशन लाभार्थियों की सूची – अखिलेश यादव को चाहिए कि वे अपने सभी उम्मीदवारों को विधानसभावार समाजवादी पेंशन लाभार्थियों की सूची उपलब्ध करवाएँ, जिसका उपयोग प्रचार-प्रसार हो सके। ऐसे लाभार्थियो का प्रचार के समय भी उपयोग किया जा सकता है ।

3. कैंसर आदि बीमारियो से पीड़ित मरीजों की लिस्ट, जिन्हे मुख्यमंत्री कोश से मदद मिली हो – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उन सभी मरीजों की विधानसभावार लिस्ट उम्मीदवारों को उपलब्ध करवाना चाहिए, जिनको मुख्यमंत्री राहत कोश से आर्थिक मदद मिली हो। मेरे संज्ञान के अनुसार हर विधान सभा के दर्जनों ऐसे मरीज हैं, जिनकों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उल्लेखनीय मदद की है। अपने प्रचार के दौरान ऐसे लोगों के नामों का भी उपयोग किया जा सकता है ।

4. 102 और 108 के लाभार्थियों की सूची – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को विधानसभावार ऐसी सूची उपलब्ध करवानी चाहिए, जिनको 102 और 108 का लाभ मिला हो। ऐसे लोगों की संख्या हर विधानसभा मे हजारो है। यदि इनकी आथेन्टिक जानकारी प्रचार के समय दी जाएगी, तो निश्चित रूप से उसका लाभ पार्टी को मिलेगा ।

5. सड़कों सहित अन्य विकास कार्यों की सूची – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह चाहिए कि हर विधानसभा मे उनके कार्यकाल मे जो सड़कों का जाल बिछा है, जिसका उपभोग पूरे प्रदेश के नागरिक किसी न किसी रूप मे करते हैं, उनका पूरा विवरण खर्च राशि सहित उम्मीदवारों को अपने प्रचार के समय उपयोग करना चाहिए । इससे निश्चित ही लाभ मिलेगा ।

6. गन्ना मूल्य मे वृद्धि – उत्तर प्रदेश मे गन्ना किसानों को लाभ देने की शुरुआत सपा के वर्तमान संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने की थी। एक बार मे ही उन्होने 50 रुपए की वृद्धि करके किसान हितैषी होने का तमगा प्राप्त किया था। अभी हाल मे ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मे भी गन्ना मूल्य मे अपेक्षित वृद्धि करके गन्ना किसानों को खुशी दी थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे हर किसान गन्ना की खेती करता है। उसे यह लाभ मिला है। इस क्षेत्र के सभी किसानों को मुलायम सिंह एवं अखिलेश यादव द्वारा किए गए गन्ना मूल्य वृद्धि का जिक्र अवश्य करना चाहिए ।

7. दलितों एवं मुसलमानों के हित मे किए गए कार्यों का विशेष प्रचार – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चाहिए कि वे अपने सभी उम्मीदवारों एवं प्रचार कार्य मे लगे नेताओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित करना चाहिए कि वे दलितों एवं मुसलमानों के लिए क्या-क्या कार्य किए गए हैं, उसके बारे मे अवश्य बताएं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश मुस्लिम एवं दलित बहुल क्षेत्र है, इससे मुस्लिम मतों को बिखरने से बचाया जा सकता है और दलितों की आक्रामकता को कम किया जा सकता है अपने ओर मोड़ा भी जा सकता है।

8. मजदूरो के हितों के लिए कार्यों की सूची – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मे मजदूरों के हितों के लिए अनेक कार्य एवं योजनाये चलाई हैं। जिसमें जन्म, शिक्षा, रोजगार से लेकर बीमारी एवं मृत्यु तक लाभ देने की अनेक योजनाए हैं। उनकी सूची भी हर प्रचारक के हाथ मे होनी चाहिए। जिससे नेता जब मजदूरों के बीच मे हो तो उन योजनाओं का जिक्र कर सके और उसकी विधानसभा मे किसको किसको लाभ मिला, यह बता सके ।

9. संवेदनशील मुद्दों से परहेज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी प्रत्याशियों को आगाह करना चाहिए कि वे संवेदनशील मुद्दों पर बोलने, वक्तव्य देने और जिरह करने से बचे । अन्यथा इस क्षेत्र के चुनाव को हिन्दू मुस्लिम बनाने से कोई रोक नहीं सकता । यही इस क्षेत्र मे चुनाव को हिन्दू मुस्लिम बनने से समाजवादी पार्टी ने रोक लिया तो उसे सभी का वोट मिलेगा और जीत भी सुनिश्चित होगी ।

10. सुशिक्षित प्रवक्ताओं की नियुक्त करना और उन्हे हमेशा अपडेट रहने को कहना – यदि टेलीवीजन के प्रवक्ताओं का तुलनात्मक मूल्यांकन करे तो सबसे कमजोर और कम जानकारी के प्रवक्ता समाजवादी पार्टी के ही प्रतीत होते हैं। न तो उन्हे समाजवाद क्या है इसकी जानकारी है और न ही समसामयिक राजनीतिक घटनाओं की ही मुकम्मल जानकारी होती है। न ही उनके पास प्रभावी वक्तृत्व कला ही होती है। उन्हे यही नहीं मालूम होता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री किस क्षेत्र मे क्या काम किया है ।

11. मीडिया को समय से खबर देना और सोशल मीडिया पर प्रामाणिक तथ्यों के साथ बहस करना – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे मीडिया पर समय से खबर देने के लिए एक टीम गठित करें और विपक्षियों के आरोपों का खंडन करने के लिए तथ्यत्मक जानकारी जुटाने के लिए एक टीम गठित करें। जिससे विपक्षी दलों के अनर्गल आरोपों का बिन्दुवार उत्तर दिया जा सके । इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी एक ऐसी टीम सक्रिय करना चाहिए जो तथ्यात्मक विचारों का प्रचार-प्रसार, बहस कर सके ।

इसी तरह और छोटी – मोटी सावधानियों का अनुपालना करते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पूरी ऊर्जा के साथ चुनाव मे उतरना चाहिए । यदि मुख्यमंत्री को लेखक की सेवाएँ चाहिए तो वह भी उपलब्ध करवाने के लिए तैयार है, क्योंकि इस उत्तर प्रदेश मे मैं ही एक ऐसा समाजवादी चिंतक विचारक हूँ, जो हर तीन महीने मे पूरे उत्तर प्रदेश के का एक चक्कर लगाता रहा है। उसी आधार पर लोगों से बातचीत के दौरान जो तथ्य मुझे समझ मे आए, उनही का उल्लेख यहाँ किया हूँ ।

प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

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