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उत्तर प्रदेश

माया की हिदायत पर बसपा नेताओं ने बनाई चंद्रशेखर से दूरी, पूरे शहर में लगे पोस्टर

मायावती को अपनी बुआ बताने वाले चंद्रशेखर के जिले में लगाए गए पोस्टर पर बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर, कांशीराम, शाहू जी महाराज के फोटो लगे हैं, लेकिन मायावती का फोटो बैनर से गायब है।

माया की हिदायत पर बसपा नेताओं ने बनाई चंद्रशेखर से दूरी, पूरे शहर में लगे पोस्टर
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भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की जिले में होने वाली रैली से फिलहाल सभी भाजपा विरोधी दल दूरी बनाते दिख रहे हैं। किसी भी दल के नेताओं को हाईकमान से इसके लिए अभी कोई आदेश नहीं मिले हैं। बसपा से निष्कासित मंत्री दद्दू प्रसाद, पूर्व विधायक मोहम्मद गाजी जरूर चंद्रशेखर की सभा के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं। बसपा हाईकमान ने अपने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को रैली से दूर रखने की हिदायत दी है।

सहारनपुर में ठाकुरों, दलितों के बीच संघर्ष के बाद सुर्खियों में आए भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर के नाम पर भाजपा विरोधी दलों ने दलित वोटों को खूब साधा। सभी दलों ने चंद्रशेखर को निर्दोष बताते हुए जेल से छूटने के बाद उससे मुलाकात की थी। कांग्रेस, सपा के नेता तो चंद्रशेखर से मिले भी थे। हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर से दूरी बनाकर चल रही हैं। 19 नवंबर को चंद्रशेखर की बिजनौर के इंदिरा बाल भवन में रैली है। रैली से फिलहाल सभी भाजपा विरोधी दलों ने दूरी बना रखी है। कोई भी दल चंद्रशेखर की रैली को सफल बनवाने के लिए अब तक सामने नहीं आया है। जिले में बसपा से निष्कासित पूर्व विधायक मोहम्मद गाजी हालांकि खुलकर चंद्रशेखर के समर्थन में घूमकर प्रचार कर रहे हैं। इसके अलावा दूसरों जिलों के कुछ पूर्व सांसदों ने भी जनसभा को सफल बनाने संबंधी बैनर आदि लगवाए हैं।

माना जा रहा है कि केवल दलित वोटों के लिए अब कोई भी दल चंद्रशेखर के पक्ष में आने को खुद को तैयार नहीं कर रहा है। दलों का मानना है कि दलित समाज चंद्रशेखर को सही तो बताता है, लेकिन इनमें से कितने लोग जनसभा में आते हैं और कितना वोटों में तब्दील हो सकता है, इसका हिसाब किताब रैली के बाद ही लगेगा। कोई भी दल चंद्रशेखर के लिए फिलहाल सीधे जनसंपर्क करके यह संदेश नहीं देना चाहता है कि उनके दल को चंद्रशेखर की जरूरत है। इसके अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश में संभावित महागठबंधन की धुरी हैं। वे चंद्रशेखर को अपने साथ लेने के पक्ष में नहीं हैं। अगर महागठबंधन में दलित वोट इन दलों के खातों में गए तब भी इसका श्रेय चंद्रशेखर को जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक बसपा हाईकमान ने पार्टी पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि कोई भी चंद्रशेखर के कार्यक्रम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा नहीं लेगा। बसपा से निष्कासित पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद, जिले के पूर्व विधायक मोहम्मद गाजी चंद्रशेखर की रैली के समर्थन में हैं। सुत्रों के मुताबिक ये दोनों नेता चंद्रशेखर के सहारे किसी दल में जाने के लिए अपना आधार बना रहे हैं। चंद्रशेखर की रैली को सफल बनाने के लिए मोहम्मद गाजी तो जनसंपर्क भी कर रहे हैं।

जिले भर में लगाए गए रैली के पोस्टर

बसपा सुप्रीमो मायावती को अपनी बुआ बताने वाले चंद्रशेखर के जिले में लगाए गए पोस्टर पर बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर, कांशीराम, शाहू जी महाराज के फोटो लगे हैं, लेकिन मायावती का फोटो बैनर से गायब है। किसी अन्य दल के नेता के फोटो भी बैनर पर नहीं लगे हैं। बसपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के अनुसार बसपा का चंद्रशेखर की जनसभा से कोई मतलब नहीं है। बसपा सर्वसमाज की पार्टी है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष डूंगर सिंह के अनुसार चंद्रशेखर की जनसभा में शामिल होने के लिए हाईकमान से कोई आदेश नहीं मिला है। हाईकमान के आदेश पर ही आगे कुछ बात होगी।

सपा के जिला प्रवक्ता अखलाक पप्पू के अनुसार चंद्रशेखर की रैली में शामिल होने संबंधी कोई जानकारी नहीं मिली है। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष रोहित सागर के अनुसार हमारी रैली राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है। अगर कोई दल साथ नहीं आता है तो हमें इसकी परवाह नहीं है। भीम आर्मी समाज को जोड़ने का काम कर रही है।

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