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बिहार

तेज प्रताप ने चुनाव आयोग को दिया धोखा, रद्द हो सदस्यता

तेज प्रताप ने चुनाव आयोग को दिया धोखा, रद्द हो सदस्यता
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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. उन्होंने कहा है कि वह सोमवार को बिहार के स्वास्थ मंत्री तेज प्रताप की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर चुनाव आयोग से मिलेंगे.
लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सुशील मोदी लगातार कई मामले उजागर कर रहे हैं. इस सिलसिले में उन्होंने तेजप्रताप यादव पर चुनाव आयोग को औरंगाबाद जमीन का हलफनामा नही देने के आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग के संज्ञान में इस तथ्य को लाया जाएगा ताकि वह आगे की कानूनी कार्रवाई कर सके.
सुशील मोदी ने कहा कि औरंगाबाद में तेजप्रताप यादव ने जमीन खरीदी. आरजेडी नेता तेजप्रताप और उनकी मां राबड़ी देवी के उस जमीन में मालिकाना हक है. शपथ के समय इस औरंगाबाद की संपत्ति को छिपाया गया. तेजप्रताप यादव ने गलत एफिडेविड लगाया गया था. उन्होंने साल 2010 में 7 रजिस्ट्री करवाई है. वहां शोरूम चल रहा है. हम चाहते हैं उनकी सदस्यता रद्द की जाए और तमाम उचिच धाराओं के तहत उन पर कार्रवाई की जाए.
सुशील मोदी ने गैर बीजेपी दलों की प्रस्तावित रैली पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी को भगाने या देश को बचाने के लिए नहीं बल्कि बेनामी संपत्ति बचाने के लिए 27 अगस्त को रैली की जा रही है. रैली का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति बचाओ रैली होना चाहिए. बेनामी संपत्ति के नाम पर देश भर की पार्टियों को एक करने की कोशिश कर रहे है. पैसा खर्च कर भीड़ कोई जुटा सकता है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में खाई पैदा हो गई है और जेडीयू को एक बार फिर कांग्रेस के साथ संबधों के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए.
तेज प्रताप यादव पर ये है मामला
* 17 जनवरी, 2005 को लारा इंटेरियर्स प्राइवेट लिमिटेड, ऑफिस एफ-8, पटना सुपर मार्केट, फ्रेजर रोड, पटना के नाम से कम्पनी गठित की गई.
* 22 मार्च, 2010 को इस कम्पनी का नाम बदलकर लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड, 208, कौटिल्य नगर, पटना कर दिया गया.
* डॉ. मीसा भारती, चन्दा यादव, राबड़ी देवी, रागिनी इस कम्पनी के डाइरेक्टर्स नियुक्त किए गए जो अभी तक डाइरेक्टर बने हुए हैं.
* तेज प्रताप 21 अप्रैल, 2010 को डाइरेक्टर नियुक्त किए गए. 2015 विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद 9 नवम्बर, 2015 को वह हट गए.
* तेजप्रताप इस कम्पनी में अभी भी 2 लाख 51 हजार शेयर के हिस्सेदार हैं.
* इसके अतिरिक्त मीसा भारती (1000), चन्दा यादव (2000), राबड़ी देवी (1 लाख 17 हजार) और रागिनी (1 लाख) शेयर के हिस्सेदार हैं.
* तेज प्रताप यादव द्वारा 2010 में औरंगाबाद में 7 लोगों से 53 लाख 34 हजार रुपये की कुल 45-24 डिसमिल जमीन खरीदी गई.
* 2 फरवरी, 2012 को इस जमीन को मॉर्गेज कर मध्य बिहार ग्रामीण बैंक, औरंगाबाद से 2 करोड़ 29 लाख का कर्ज प्राप्त किया किया.
* 2015 के विधानसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग तथा बिहार सरकार के समक्ष सम्पत्ति का ब्यौरा देते समय इस सम्पत्ति के ब्यौरे को छिपा लिया गया.
* उपरोक्त सम्पत्ति को मॉर्गेज कर 2 करोड़ 29 लाख के कर्ज को भी चुनाव आयोग तथा बिहार सरकार में घोषित सम्पत्ति के ब्यौरे में छिपा लिया गया.
सुशील मोदी ने इन तथ्यों के आधार पर अपने सवाल भी रखे. उन्होंने कहा कि -
* 2010 में 20 वर्ष की आयु में 45.24 डिसमिल जमीन खरीदने के लिए 53 लाख 34 हजार रुपये कहां से आये ?
* इस 45 डिसमिल जमीन जिसकी आज कीमत 15 करोड़ से कम नहीं होगी को क्यों चुनाव आयोग एवं राज्य सरकार से छिपा लिया गया?
* इस जमीन पर 2 करोड़ 29 लाख का कर्ज है, इसे क्यों छिपा लिया गया?
* इस जमीन की खरीद लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं बल्कि व्यक्तिगत तेज प्रताप यादव के नाम से की गई थी.
* औरंगाबाद में हाईवे पर अवस्थित इतनी महत्वपूर्ण जमीन को जानबूझकर क्यों छिपा लिया गया?
* क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे विवादित मंत्री को बर्खास्त करेंगे?
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