Janta Ki Awaz
व्यंग ही व्यंग

गिर गया स्तर !

गिर गया स्तर !
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गिर गया स्तर !

धूमिल हुआ विचार ।

गिर गया स्तर ।।

राजनीतिक बयान ।

चुभो रहे नश्तर ।।

ग़लत बयानबाज़ी ।

लगती गरिमा ठेस ।।

हट चुका पर्दा ।

क्या रहा शेष ?

फ़ेहरिस्त लंबी ।

लें अब किसका नाम ?

जल्दबाज़ी सबको ।

पहुँचना मुक़ाम ।।

देश का दुर्भाग्य ।

छाए ये जननायक ।।

जनता को सलाम ।

झेलते हम लायक ।।

कृष्णेन्द्र राय

Krishnendra Rai

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