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व्यंग ही व्यंग

मोदी जी गिर गए? ...असँख्य लोगों की आशाएँ नहीं गिरी जिनकी अंतिम उम्मीद का नाम मोदी है

मोदी जी गिर गए? ...असँख्य लोगों की आशाएँ नहीं गिरी जिनकी अंतिम उम्मीद का नाम मोदी है
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कोई बात नहीं। देह ही गिरी है न? बूढ़े हो रहे हैं, शरीर तो अब लड़खड़ायेगा ही! शरीर हजार बार गिरे तब भी कोई दिक्कत नहीं, बस विचार नहीं गिरने चाहिए।

सुनिए मोदी काका! आप गिरें तो गिरें, इस देश के उन असँख्य लोगों की आशाएँ नहीं गिरनी चाहिए, जिनकी अंतिम उम्मीद का नाम मोदी है।

1947 में धार्मिक आधार पर हुए बंटवारे में जिन लोगों को भारत में हिस्सा मिला था, वैसे असँख्य लोग कुछ लापरवाह राजनीतिज्ञों के कारण अब तक शत्रु-भूमि में अत्याचार सह रहे हैं। आपने सत्तर वर्षों बाद उनकी आँखों को हल्की चमक लौटाई है। आप गिरें तो गिरें, उनके आँखों की चमक नहीं गिरनी चाहिए।

जानते हैं! कोई कहे न कहे, पर 1992 के बाद यह देश अंदर ही अंदर मान चुका था कि कश्मीर हाथ से निकल रहा है। देश का भी क्या दोष, उसने आजादी के बाद एक बार पाक अधिकृत कश्मीर और एक बार अक्साई चीन को यूँ ही हाथ से निकलते देखा है, और संसद भवन में यह निर्लज्ज व्यक्तव्य भी सुना है कि "जाने दो! वहाँ घास तक नहीं उपजती थी।" आपने 370 तोड़ कर देश को विश्वास दिलाया है कि अब देश की उंगल भर भूमि भी शत्रुओं के हाथ नहीं जाएगी। मोदी जी! आप गिरें तो गिरें, भारत का वह विश्वास नहीं गिरना चाहिए।

आप जब ब्रिटेन, अमेरिका, इजराइल आदि देशों में जाते हैं, तो वहाँ असँख्य लोग "मोदी-मोदी" चिल्लाते हैं। लोगों को भले तब 'मोदी-मोदी' सुनाई दे, मैं सुनता हूँ कि वे "भारत-भारत" चिल्लाते हैं। हम जैसे करोड़ो लोग हैं जो पूरे विश्व में यह "भारत-भारत" सुनना चाहते हैं। आप गिरें तो गिरें, भारत-भारत की उस ध्वनि की प्रबलता नहीं गिरनी चाहिए।

आप अपनी रैलियों में भाषण के अंत में सबका हाथ उठवा कर जब 'बन्दे मातरम' और 'भारत माता की जय' बुलवाते हैं न! तब मन बड़ा खुश होता है। सुकून मिलता है कि चलो कोई तो मिला जो जनता से अपने पूर्वजों की जयकार नहीं करा रहा, बल्कि राष्ट्र की जयकार करा रहा है। जानते हैं, जनता जब 'फलाँ-फलाँ जिन्दाबाद' के नारे लगाती है तो वह केवल कुछ लोगों के पूर्वजों की जयकार होती है। पर वही जनता जब भारत माता की जय बोलती है न! तब उसमें देश के सबसे दरिद्र व्यक्ति के भी सारे पितरों की जयकार होती है। यह जयकार नहीं रुकनी चाहिए। आप गिरें तो गिरें, भारत माता के सम्मान में हाथ उठाने की यह परम्परा नहीं गिरनी चाहिए।

राजनैतिक हथोड़े के क्रूर प्रहार से खण्ड-खण्ड में टूटे हिन्दू युगों बाद आपके नाम पर साथ आये हैं। आप गिरें तो गिरें, हिन्दुओं को जोड़ने वाली वह विचारधारा नहीं गिरनी चाहिए।

कुछ लोग हैं, जिन्हें आपके गिरने पर मजा आ रहा है। ये वो लोग हैं जिन्हें आपका दौड़ना पसन्द नहीं। पर मैं कहता हूँ, यूँ ही दौड़ते रहिये। भले सौ बार कदम लड़खड़ाएं, पर तबतक दौड़ते रहिये जबतक देश को दूसरा मोदी नहीं मिल जाता।

आपको इतनी आसानी से छोड़ने वाले नहीं हम! वोट दिया है, पाई-पाई वसूलेंगे। और हाँ! कांग्रेस को सौ बार हराया जा सकता है, पर आयु को नहीं हराया जा सकता। बूढ़े हो रहे हैं आप! तनिक स्वयं पर भी ध्यान दीजिए।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार।

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