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व्यंग ही व्यंग

गहमागहमी चालू - लग गया ताँता:कृष्णेन्द्र राय

गहमागहमी चालू -  लग गया ताँता:कृष्णेन्द्र राय
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गहमागहमी चालू ।

लग गया ताँता ।।

सियासी जमात ।

जोड़ रहे नाता ।।

घटनाएँ तो अनगिनत ।

कौन लेता सुध ?

वाक़ई हमदर्दी ।

या स्थापन युद्ध ?

धार्मिकता रंग ।

देने की कोशिश ।।

आ रहा चुनाव ।

लगातार तपिश ।।

व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय

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