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व्यंग ही व्यंग

हाल न पूछिये काका, देश तो एकदम गड्ढे में धस रहा है

हाल न पूछिये काका, देश तो एकदम गड्ढे में धस रहा है
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-गोड़ लागते हैं काका
-जियो चेला जियो, का हाल है रामचनर?
-अरे हाल न पूछिये काका, देश तो एकदम गड्ढे में धस रहा है। देखते नहीं, निर्दोष बच्चों का एनकाउंटर करा रहा है भजपइया सब।
-क्यों रे, उ अनेरवा सब निर्दोष था? रै बम धमाका का दोषी तुमको निर्दोष लउकता है?
- अरे काका, अगर दोषिये हो तो का अइसे ही मुआया जाता है? ई हिटलरशाही नही चलेगी काका, अब किरांति हो के रहेगी।
- अरे अइसे नही मुआया जाता है तो कइसे मुआया जाता है रे? रे आतंकवादी को जइसे भी मुआया जाता है ठीक है। और रही बात किरांति का, तो आजकल धान कटा गया है सब खेत खाली है, जहां मन करे किरांति कर ले। पानी त तुमलोग छूता नही है।
- बै काका, मजाक मत करिये। विचाराधीन कैदियों को मारने का हक इन सिपाहियों को कईसे मिल गया, इस देश में कोट-कचहरी भी तो है। कोट को सजा देने देते न। ई हिटलरशाही नही तो अउर का है?
-अच्छा! मतलब तुमलोग भी कोट-कचहरी को मानने लगा। तो बेटा तुमलोग जो आदिवासियों को बेवकूफ बना के हथियार थमा कर माओवादी बनाते हो तब शरम नही आती? उनसे काहे नही कहते कि देश के निर्दोष लोगों को गोली न मारो, कोर्ट का इज्जत करो।
- देखिये काका, बात में कुबात न घुसाइए। उ त दोसर मैटर है।
-अच्च्छा..... ई दोसर मैटर है?? अरे कोई है... ऐ तनी एगो लाठी ले आएगा रे......
- हाँ हाँ, मंगा लीजिये लाठी। आप सामंतवादी लोग गरीबों का आवाज अइसहीं नु बन्द कराते रहे हैं। पर अब ई सामन्तवाद नही चलेगा...
- ना बेटा, हम कब कह रहे हैं कि ई सामंतवाद चलाओ। तुम अपना प्रगतिशील सामंतवाद चलाओ।
- देखिये काका, बात मत बहकाइये। अच्छा चलिए मान लिया कि उ आतंकवादी था तो उसको मार दिया। तो फिर आसाराम को काहे नहीं मारते हैं?
- बाह बेटा, अब न जाके किए हो पकिया बुद्धिजीवी वाला बात। जब पुलिस इसको मारे तो कहना कि उसको काहे नही मारा। जब सेना पाकिस्तान से लड़े तो कहना कि बंगलादेश को काहे नही मारता। जब बांग्लादेश से लड़े तो कहना कि नेपाल से काहे नही लड़ता। एकदम निमन बुद्धि है। आच्छा अब तुम बताओ- भारत के बरबादी तक जंग चलेगी कि नहीं?
- बै काका, काहे अट पट बोल रहे हैं महाराज। बात मत बदलिये।
- मने तुम बात बदलो तो उ प्रगतिशीलता है और हम बदल दिए तो पतनशीलता हो गया।
- अउर नहीं तो का! ई त पतनशीलता हइये है।
- आच्छा त सट से भागो नही तो मार के बोकउर काढ़ देंगे तोहर।
- हं हं, जाते हैं जाते हैं। लाल सलाम..,
- लाल सलाम? अभी दू लाबदा में तोहर सब सलाम लाल कर देंगे भागो नही तो...
-ठीक है ठीक है।
-भांय
-भांय

श्रीमुख
फ्रॉम मोतीझील
सर्वेश तिवारी 'श्रीमुख'
गोपालगंज
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