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महाराष्ट्र में सियासी संकट की सुगबुगाहट, राहुल बोले सरकार में शामिल जरूर हैं लेकिन फैसले में भागीदारी नहीं

महाराष्ट्र में सियासी संकट की सुगबुगाहट, राहुल बोले सरकार में शामिल जरूर हैं लेकिन फैसले में भागीदारी नहीं
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नई दिल्‍ली । महाराष्‍ट्र में कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है। कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में सरकार को लेकर लगातार हलचल है। इसी हलचल के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हम सरकार में शामिल जरूर हैं लेकिन फैसले में हमारी प्रमुख भागीदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि कहा सरकार चलाने और सरकार का समर्थन देने में फर्क होता है।

देश के 36 फीसद से ज्‍यादा COVID-19 केस अकेले महाराष्‍ट्र से हैं। विपक्ष इस हालत के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। इस बीच महाराष्‍ट्र में सियासी संकट की सुगबुगाहट तेज हो गई है। ताजा हालात इसी ओर इशारा करती है। मंगलवार को एक ओर जहां एनसीपी चीफ शरद पवार ने उद्धव से मुलाकात की। वहीं कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के बयान से मामला औऱ तूल पकड़ रहा है।

सरकार से अलग-थलग क्‍यों हो रही कांग्रेस?

राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में साफ किया कि महाराष्‍ट्र सरकार को कांग्रेस सहयोग कर रही है। वहां पार्टी की बड़े फैसलों में भूमिका नहीं है, यह कहकर राहुल ने 'महाविकास आघाडी' की एकजुटता को लेकर अटकलों को हवा दे दी है। राहुल ने कहा कि हम महाराष्‍ट्र में सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं मगर वहां 'की डिसिजन मेकर' नहीं हैं। हम पंजाब, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, पुड्डूचेरी में 'की डिसिजन मेकर' हैं। सरकार चलाने और सरकार का सपोर्ट करने में फर्क होता है। जबकि सच यह है कि कांग्रेस महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन का हिस्सा है। दोनों राज्यों में कांग्रेस के विधायक मंत्री भी बनें है। एेसे में राहुल गांधी यह कहकर नहीं बच सकते कि हम डिसिजन मेकर की भूमिका में नहीं है।

राहुल से उलट थोराट का बयान

महाराष्‍ट्र कांग्रेस चीफ और सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि कांग्रेस नाखुश नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि 'सभी तीन पार्टियां हर सप्‍ताह मीटिंग करती हैं जिसमें फैसले किए जाते हैं। सब पार्टियां मिलकर काम कर रही हैं।' थोराट का यह बयान राहुल के आज के बयान से उलट है जहां वो कह रहे हैं कि कांग्रेस केवल महाराष्‍ट्र में सपोर्ट करती है और फैसलों में उसकी बड़ी भूमिका नहीं है।

राहुल गांधी ने यह भी बताया कि महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली जैसी जगहों पर कोरोना वायरस का प्रकोप इतना ज्‍यादा क्‍यों हैं। उन्‍होंने कहा कि जितनी ज्‍यादा कनेक्‍टेड जगह है, वहां कोरोना ज्‍यादा एग्रेसिव हैं। आप दिल्‍ली देखें, मुंबई देखें, पुणे देखें। महाराष्‍ट्र भारत के सबसे कनेक्‍टेड राज्‍यों में से एक है इसलिए वहां पर कोरोना के ज्यादा मामले होंगे ही। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र अपनी कनेक्टिविटी के नेचर की वजह से इतना संघर्ष कर रहा है। राहुल के मुताबिक, महाराष्‍ट्र व्यापार का केंद्र है इसलिए केंद्र सरकार को उसे पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए।

संजय राउत ने दी सफाई

वहीं शिवसेना के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि महाविकास अघाड़ी की स्थिरता को लेकर चिंता की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने पुष्टि की कि पवार ने उद्धव से मुलाकात की है। ऐसी अटकलें हैं कि कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके को लेकर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। राउत ने संभावित राजनीतिक संकट की ओर इशारा करते हुए कहा कि विपक्ष को अभी भी कोरोना के लिए टीका और उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराने के लिए खुराक खोजना बाकी है लेकिन प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मजबूत है और उस पर कोई खतरा नहीं है।

गौरतलब है कि मुंबई में कोरोना संकट के बीच अब भाजपा उद्धव सरकार पर हमलावर हो गई है और राज्य के हालात काबू में करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है। सवाल ये है कि क्या महाराष्ट्र सरकार की मुश्किल बढ़ने वाली है, पहले शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की सरकार को कोई खतरा नहीं है। अब महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहब थोराट ने भी सरकार के लिए किसी संकट से इनकार किया है। थोराट ने कहा है कि किसी के सिर्फ मांग कर देने से राष्ट्रपति शासन नहीं लग जाता। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा में सत्ता की लालसा है इसलिए वे राज्यपाल से मिलते हैं।

जहां एक तरह कांग्रेस कह रही है कि उद्धव सरकार पर संकट नहीं है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के अंदर से भी आवाज उठ रही है। पार्टी से नाराज चल रहे नेता संजय निरुपम ने उद्धव सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। इस पर थोराट ने कहा कि ये संजय निरुपम की निजी राय है।

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