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कांग्रेस-एनसीपी ने उद्धव को फंसा दिया? पवार के 'पावर गेम' से शिवसेना सकते में

कांग्रेस-एनसीपी ने उद्धव को फंसा दिया? पवार के पावर गेम से शिवसेना सकते में
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हुई है बल्कि एनसीपी चीफ शरद पवार के बयानों ने सस्पेंस को और बढ़ा दिया है। शरद पवार ने साफ कर दिया है कि अभी सरकार बनाने को लेकर उनकी सोनिया गांधी से कोई बात नहीं हुई है। पवार ने ये कहकर पूरे मामले को और उलझा दिया कि जो सरकार बनाने की बात कह रहे हैं आप उन्ही से जाकर इसके बारे में पूछें। पवार के इस दांव से शिवसेना सकते में है।

सोमवार की शाम पांच बजे जब शरद पवार दिल्ली में 10 जनपथ पर सोनिया गांधी से मिलने गए तो लगा कि महाराष्ट्र के सीएम की शपथ ग्रहण की तारीख तय हो जाएगी। मातोश्री में बैठे उद्धव और आदित्य ठाकरे की सांसे भी अटकी हुई थीं। एक घंटे की मुलाकात के बाद पवार बाहर आए तो कई लोगों की उम्मीदों पर मानो वज्रपात सा हो गया। शरद पवार ने साफ साफ कह दिया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर कोई बात ही नहीं हुई।

सोनिया से मुलाकात के बाद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ''सरकार गठन के बारे में चर्चा नहीं की। हमने सिर्फ राज्य में राजनीतिक हालात के बारे में चर्चा की।'' उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया के साथ मुलाकात के दौरान साझा न्यूनतम कार्यक्रम को लेकर भी बात नहीं की गई।

पवार ने कहा कि हम समाजवादी पार्टी और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन जैसी उन सभी पार्टियों के साथ चर्चा करना चाहते हैं जिन्होंने हमारे साथ चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा, ''हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। हम दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे और उनकी राय लेंगे । इसके आधार पर हम भविष्य को लेकर फैसला करेंगे।''

शिवसेना के नेता संजय राउत तीन दिन से शेर-ओ-शायरी कर रहे थे। दावा कर रहे थे कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार है लेकिन सोनिया से मिलकर बाहर निकले पवार ने उनके इस दावे की धज्जियां उड़ा दीं।

शरद पवार के बयानों ने शिवसेना के होश उड़ा दिए हैं। पवार के प्रेस कॉंफ्रेस को टीवी पर देख रहे संजय राउत फौरन उनसे मिलने पहुंच गये। पवार ने मुलाकात के लिए केवल बीस मिनट दिए। बाहर आकर राउत की हालत बता रही थी कि सब ठीक नहीं है इसीलिए राउत ने सुबह तक सरकार को लेकर की जाने वाली शायरी का मौजू बदलकर किसानों पर कर दिया।

शरद पवार सियासत के चतुर खिलाड़ी हैं इसलिए हर कदम फूंक फूंक कर रख रहे हैं। सोनिया गांधी भी फैसला नहीं ले पा रही हैं इसीलिए कई दौर की बैठक के बाद भी मामला लटका हुआ है। सबसे बड़ी मुश्किल तो शिवसेना के सामने खड़ी हो गई है जिसके पास पीछे लौटने की संभावनाए कम होती जा रही हैं।

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