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SC विवाद: बार काउंसिल ने कहा- जजों को मीडिया में नहीं जाना था

SC विवाद: बार काउंसिल ने कहा- जजों को मीडिया में नहीं जाना था
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सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है कि जजों को मीडिया से मुखातिब नहीं होना था. बार काउंसिल के चेयरमैन मनन मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल ने एकमत से सात सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल बनाया है. यह मंडल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों से मिलेगा और देशभर के बार काउंसिलों का मत उनके सामने रखेगा. लगभग 50 प्रतिशत जजों ने मुलाकात के लिए समय दे दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिसरा से भी मुलाकात की जाएगी. बाउंसिल के चेयरमैन ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल अंदरखाने ही एक मैकेनिज्‍म बनाने और समस्‍याओं का सुलटारा करने की अपील करेगा. उन्‍होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जल्‍द से जल्‍द मामला सुलझ जाए.
मिश्रा ने मीडिया से कहा कि जजों की नियुक्ति से जुड़ा मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) जल्‍द से जल्‍द उचित तरीके से तैयार होना चाहिए. हम इस बारे में सरकार को भी पत्र लिखेंगे लेकिन यह मामला इतना बड़ा नहीं था कि इसे जनता के सामने लाया जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कॉलेजियम जजों की नियुक्ति कर रहा है. हम इस पर भी चर्चा करेंगे. ऐसे मसलों पर हंगामा कर न्‍यायपालिका को धमकाया नहीं जाना चाहिए.
जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद राजनीतिक दलों के बयानों पर मनन मिश्रा ने जवाब दिया कि हमने राहुल गांधी और अन्‍य राजनीतिक दलों को न्‍यायपालिका के बारे में बोलने का मौका दिया है. यह दुर्भाग्‍यजनक है. बार काउंसिल की ओर से मेरी दरख्‍वास्‍त है कि राजनीतिक दल इस मामले पर सियासत ना करें.
उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री और कानून मंत्री ने कल (शुक्रवार) कह दिया था कि यह न्‍यायपालिका का अंदरूनी मसला है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी. हम सरकार के इस रूख का स्‍वागत करते हैं. मिश्रा ने साथ ही जजों से कहा कि उन्‍हें दोबारा मीडिया में नहीं जाना चाहिए. मामले पर राजनीति हो रही है और दोबारा ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए. हमें किसी भी तरह इस मामले का हल निकालना है.
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