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NSG में सदस्यता पर रूस ने किया भारत का समर्थन,चीन-पाक चिढे

NSG में सदस्यता पर रूस ने किया भारत का समर्थन,चीन-पाक चिढे
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रूस ने भारत के साथ अपनी दोस्ती का उदाहरण पेश करते हुए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। इस मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान को झटका देते हुए रूस ने भारत को एनएसजी समूह का स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है। रूस ने साफ कहा कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की पाकिस्तान के साथ तुलना नहीं की जा सकती है। रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर से भारत की सदस्यता का समर्थन किया और कहा कि परमाणु परीक्षण के मामले में भारत का परमाणु अप्रसार का शानदार रिकॉर्ड है, जबकि पाकिस्तान के बारे में ऐसा नहीं का जा सकता है। पाकिस्तान परमाणु अप्रसार की योग्यता के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है।
चीन का विरोध जारी
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के दावे पर चीन के दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं आया है। चीन का कहना है कि एनएसजी के मौजूदा सदस्य इस समूह में नए सदस्यों को शामिल करने के बारे में आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें 45 देश शामिल हैं जिनके लिए आपस में परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी का व्यापार करना आसान है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने गुरुवार को कहा, इस विषय में चीन का दृष्टिकोण जस-का-तस है। चीन इसके पक्ष में है कि इस मामले में सरकारों के बीच पारदर्शी और निष्पक्ष बातचीत के जरिए आम सहमति के सिद्धांत का पालन किया जाए।
गेंग ने यह बात तब कही, जब उनसे रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव की इस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि उनका देश एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन से बात कर रहा है। चीन एनएसजी का सदस्य है। वह भारत की सदस्याता का विरोध कर रहा प्रमुख देश है। उसका कहना है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को नहीं मानता। उसके विरोध के कारण भारत को सदस्यता मिलने में कठिनाई हो रही है क्योंकि यह समूह आम सहमति के सिद्धांत से चलता है। गेंग ने कहा, एनपीटी से बाहर के कुछ देश जो परमाणु हथियारों से मुक्त देश के रूप में इस समूह में शामिल होना चाहते हैं।
साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के व्यापक सुरक्षात्मक उपाय के समझौते (सीएसए) पर पर भी हस्ताक्षर नहीं करेंगे जो एनपीटी के तहत अनिवार्य है। ऐसे में यदि हम ऐसे अभ्यार्थियों के आवेदन पर सहमत होंगे तो इससे दो बातें होंगी। एक तो हम गैर एनपीटी देशों के परमाणु हथियार संपन्न होने को मान्यता दे रहे होंगे। दूसरे, परमाणु हथियार मुक्त देशों के अलावा दूसरे देश सीएसए पर हस्ताक्षर नहीं करने का रास्ता अपनाएंगे। प्रवक्ता ने कहा, इससे एनपीटी और परमाणु अप्रसार की समूची अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था विफल हो जाएगी।
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