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सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्‍या मामले में कपिल सिब्बल की जमकर खिंचाई की

सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्‍या मामले में कपिल सिब्बल की जमकर खिंचाई की
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अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की वकालत करने के लिए बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कपिल सिब्बल की जमकर खिंचाई की है. बुधवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने यह सवाल उठाया कि जब सुन्नी वक्फ बोर्ड को खुद चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की हर रोज सुनवाई हो, तब उनकी तरफ से वकील बने कपिल सिब्बल ने कोर्ट में यह कैसे कह दिया कि सुनवाई टाल देनी चाहिए.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने यह कहा था कि राम मंदिर बीजेपी का एजेंडा है, इसीलिए इसकी रोज-रोज सुनवाई नहीं होनी चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की दलील को सिरे से खारिज कर दिया था.
कपिल सिब्बल पर तीखा हमला बोलते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि शायद वह सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से बोल रहे थे और उनका बयान बेहद हास्यास्पद है. उन्होंने कहा कि सिब्बल तो गौ मांस की फैक्ट्री भी चला सकते हैं और यह भी दावा कर सकते हैं की 2G में कोई नुकसान नहीं हुआ.
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि 8 फरवरी को जब इस मामले की हर रोज सुनवाई शुरू होगी तो हद से हद 3 महीने में इस मामले का फैसला आ जाने की उम्मीद है.
राहुल को जनेऊ पहनने भी नहीं आता!
उन्होंने कांग्रेस पार्टी को हिंदू विरोधी बताते हुए कहा कि राहुल गांधी गुजरात में भले ही मंदिर-मंदिर जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें हिंदू धर्म के बारे में कुछ भी पता नहीं है. स्वामी ने कहा कि अपने हिंदू होने के साक्ष्य के तौर पर राहुल गांधी जनेऊ दिखा रहे थे, लेकिन उन्होंने जनेऊ को भी गलत ढंग से पहना था.
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ पर जेएनयू के एक कार्यक्रम में सुब्रमण्यम स्वामी को राम मंदिर के ऊपर एक लेक्चर देने को बुलाया गया था. लेकिन ऐन वक्त पर उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. स्वामी इस बात पर काफी आगबबूला थे. उन्होंने कहा कि जेएनयू में लेक्चर देने के लिए उन्होंने कोई आवेदन नहीं किया था. लेकिन मेरा लेक्चर क्यों कैंसिल किया गया, इसका जवाब वही लोग दे सकते हैं. स्वामी ने सवाल उठाया कि वामपंथी लोग हमें इनटॉलेरेंस का पाठ पढ़ाते थे अब, उनको जवाब देना चाहिए.
असल में, सिब्बल के कोर्ट में दिए गए दलील को लेकर विवाद हो गया है, क्योंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने खुद यह कहा है कि वह चाहते हैं कि इस मामले की रोज सुनवाई हो और जल्द से जल्द फ़ैसला आए.
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