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लद्दाख: पीछे नहीं लौटना चाहते थे 15 चीनी सैनिक, जानिए कैसे 'पत्थरबाजों' को ITBP ने सिखाया सबक

लद्दाख: पीछे नहीं लौटना चाहते थे 15 चीनी सैनिक, जानिए कैसे पत्थरबाजों को ITBP ने सिखाया सबक
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लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों को जबर्दस्त जवाब मिला है। भारत को आंख दिखाने पर आमदा चीन को इंडियन आर्मी से ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस घटना का खंडन नहीं किया है। यानी कि भारत की सेना चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए तैयार है। भारत और चीन के सेना के बीच ऐसी घटना कई सालों में पहली बार हुई है जब, चीन की ओर से भारतीय जवानों पर पत्थरबाजी की गई है। चीन की सेना कई बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश करती है, लेकिन इस दौरान दोनों देशों के बीच कभी भी हिंसक झड़प नहीं हुई है। ये पहली बार है जब चीन की सेना ने भारतीय सेना पर पत्थरबाजी की है। दरअसल 15 अगस्त को जब देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, लद्दाख में चीन एक खतरनाक साजिश चल रहा था। चीन की का मकसद भारतीय सेनाओं को उकसाने की थी। लेकिन लद्दाख में सीमा की रखवाली कर रहे इंडियन तिब्बत बॉर्डर फोर्स के जवानों ने धैर्य से काम लिया।

चीन के 15 सैनिक लद्दाख में 15 अगस्त की सुबह साढ़े सात बजे पानगोंग झील के किनारे से भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इस झील के दो तिहाई हिस्से पर चीन का और एक तिहाई हिस्से पर भारत का नियंत्रण है। भारत के हिस्से वाला ये इलाका पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। एनडीटीवी की रिपोर्ट्स के मुताबिक जब चीन के 15 सैनिक इस ओर बढ़ रहे थे तभी सीमा पर तैनात भारतीय जवानों ने उन्हें रोक लिया और उन्हें वापस जाने की चेतावनी दी। कई बार की वार्निंग के बाद भी चीनी सैनिक वहां से हटने को तैयार नहीं हुए। इस बीच चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए, जब आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें कार्रवाई की धमकी दी तो वहां पर चीनी सेना की ओर से पत्थरबाजी की गई। चीन की इस हिमाकत का भारतीय सेना ने जोरदार और भरपूर जवाब दिया। इस घटना में दोनों ओर के जवानों को मामूली चोट आई।

दोनों देशों के बीच टेंशन का ये माहौल दो घंटे तक चला, हालांकि इस दौरान किसी भी ओर से हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बाद तनाव भरे माहौल में दोनों देशों की सेनाओं ने घटनास्थल पर ड्रिल किया, जिसका मतलब ये दावा करना है कि ये जगह उनका है। यहां पर आईटीबीपी के जवानों ने चीनी सेनाओं को एक परचम दिखाया। इस परचम में चीनी भाषा में लिखा था, 'ये इलाका हमारा है, कृपया वापस चले जाएं।' इसके बाद चीनियों को मजबूरन पीछे हटना पड़ा।बता दें कि पानगोंग झील की पहरेदारी के लिए भारतीय सेना हाई स्पीड इंटरसेप्टर बोट्स का इस्तेमाल करती है। भारतीय सेना ने ये नावें अमेरिकी से खरीदी है। इस नाव में एक बार में 15 सैनिक सवार हो सकते हैं। ये नाव रडार, इन्फ्रा रेड और जीपीएस सिस्टम से लैस है। बता दें कि चीनी सेना ने 2013 में भी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी तब भी चीनी सेनाओं को मुंह की खानी पड़ी थी।

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