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बीजेपी की सियासी चाल से विपक्षी एकजुटता में 'दरार'? मीटिंग में आजाद और येचुरी में बहस

बीजेपी की सियासी चाल से विपक्षी एकजुटता में दरार? मीटिंग में आजाद और येचुरी में बहस
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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियां गोलबंदी में जुट गई हैं। बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए ने भी अपनी कोशिशें शुरू कर दी हैं। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीपीएम जनरल सेक्रटरी सीताराम येचुरी और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से फोन पर संपर्क किया। नायडू के इस फोन के बाद एकजुट विपक्षी पार्टियों की बुधवार को ही हुई मीटिंग बेनतीजा खत्म हुई। हालांकि, पार्टी नेताओं में कुछ मतभेद भी देखने को मिला। जहां अधिकतर नेता बीजेपी की ओर से कैंडिडेट तय करने के पक्ष में थे, वहीं कुछ किसी एकराय के उलट चुनाव में जाने के मूड में नजर आए। एक स्थिति ऐसी आई जब कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी में बहस भी हुई। वहीं, एनसीपी और टीएमसी जैसी पार्टियों ने भी बैठक में अपनी 'मजबूरियां' गिनाईं।
सोनिया से मिलेंगे बीजेपी नेता
बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपति कैंडिडेट पर विपक्षी नेताओं से एकराय बनाने के लिए एक कमिटी बनाई है, जिसके सदस्य केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह और नायडू हैं। कमिटी के सदस्य शुक्रवार को सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं। कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है कि चूंकि बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए तीन सदस्यों की टीम बनाई है, लिहाजा प्रधानमंत्री के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए गांधी को भी अपना प्रतिनिधि नियुक्त करना चाहिए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर खुद सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि, दूसरी तरफ कुछ पार्टी नेता यूपीए-2 के शासनकाल को याद करते हैं, जब सत्ता पक्ष प्रणव मुखर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के बाद विपक्ष से मिलने पहुंचा था।
विपक्ष की बैठक बेनतीजा
नायडू के फोन के बाद राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए बनी विपक्षी उप-कमिटी की बैठक बेनतीजा खत्म हुई। सीनियर कांग्रेसी लीडर गुलाम नबी आजाद ने मीटिंग के बाद कहा, 'किसी भी नाम पर चर्चा नहीं हुई। आज की बैठक शुरुआती कोशिश थी। बीजेपी ने एक तीन सदस्यीय ग्रुप बनाया है। चूंकि उन्होंने हमसे संपर्क किया है, इसलिए अभी फाइनल कैंडिडेट चुनना मुमकिन नहीं है।' उन्होंने कहा कि विपक्ष की 10 सदस्यीय समिति किसी योग्य उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए फिर बैठक करेगी । बहरहाल, उन्होंने कोई समयसीमा नहीं दी। बता दें कि विपक्ष की मीटिंग में कांग्रेस, डीएमके, सीपीएम, एसपी, बीएसपी, आरजेडी, जेडीयू, टीएमसी और एनसीपी के प्रतिनिधि शामिल हुए। मीटिंग करीब एक घंटे चली।

येचुरी और आजाद में बहस
सूत्रों ने बताया कि मीटिंग में येचुरी और आजाद के बीच बहस भी हुई। जहां आजाद और अधिकतर नेता सरकार के कदम का इंतजार करने के पक्ष में थे, वहीं येचुरी चाहते थे कि राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला हो। उन्होंने जोर दिया कि विपक्ष को पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी को उम्मीदवार बना देना चाहिए। येचुरी की राय थी कि इस राष्ट्रपति चुनाव को गांधी बनाम गोडसे, सेक्युलर बनाम कम्युनल की लड़ाई बनाया जाए। येचुरी ने बातचीत में कहा, 'हां, मुझे वेंकैया नायडू ने कॉल किया था। उन्होंने कहा कि वह मुझसे शुक्रवार को मिलेंगे। जहां तक हमारा सवाल है, हम राजनीतिक लड़ाई चाहते हैं।'
एनसीपी, तृणमूल ने गिनाईं 'मजबूरियां'
सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी ने मीटिंग में संकेत दिए कि अगर सरकार की ओर से मराठी कैंडिडेट उतारा जाता है तो पार्टी को उनका समर्थन करना ही होगा और ऐसे हालात में वह विपक्ष के साथ खड़ी नहीं रह पाएगी। वहीं, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि विचारधारा पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। हालांकि, किसी ने भी येचुरी का समर्थन नहीं किया। वहीं, तृणमूल ने सोनिया गांधी से कहा कि अगर बीजेपी सुषमा स्वराज या किसी भी महिला कैंडिडेट को उतारती है तो वह विरोध करने की स्थिति में नहीं होगी। हालांकि, जेडीयू नेता शरद यादव ने साफ किया है कि अगर बीजेपी ने हिंदुत्व की तरफ झुकाव वाले किसी व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया तो विपक्ष अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारेगा। वहीं, जेडीयू के ही अन्य नेता केसी त्यागी ने कहा, 'हम किसी चीज पर हां या ना तभी कह सकते हैं, जब हमें पता हो कि सरकार के दिमाग में क्या है?'

शिवसेना के संपर्क में विपक्ष
कहा जा रहा है कि विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के संपर्क में है। शिवसेना ऐसी पार्टी है, जिसने बीजेपी सहयोगी होने के बावजूद बीते दो राष्ट्रपति चुनावों में स्वतंत्र वोटिंग की थी। हालांकि, विपक्ष के एक सीनियर लीडर ने कहा, 'ऐसा होने की उम्मीद बेहद कम है कि वे (शिवसेना) हमारे साथ खड़े होंगे। सब कुछ कैंडिडेट पर निर्भर करता है।' विपक्ष के एक वर्ग का मानना है कि बीजेपी की विपक्ष तक पहुंचने की कोशिश महज औपचारिकता है। लिहाजा, विपक्ष को अपने कैंडिडेट के नाम का ऐलान करना चाहिए। हालांकि, दूसरे बड़े वर्ग का कहना है कि चूंकि सत्ता पक्ष ने औपचारिक तौर पर ही सही लेकिन विपक्ष से संपर्क किया है, इसलिए बीजेपी को कैंडिडेट तय करने के बाद ही विपक्ष उम्मीदवार पेश करे। एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने बताया, 'चूंकि सत्ता पक्ष इस पर विपक्ष से बात करना चाहता है, लिहाजा हमें लगा कि पहले उन्हें सुन लिया जाए।'
किसके-किसके संपर्क में बीजेपी?
नायडू ने बुधवार को तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख और बीजेपी के गठबंधन सहयोगी एन चंद्रबाबू नायडू और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रीय नेताओं से बात की। उन्होंने मायावती की अगुआई वाली बीएसपी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा और एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल को भी फोन किया। इसके अलावा, उन्होंने पुडुचेरी के ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस के एन रंगास्वामी से भी बात की। बीजेपी पिछले राष्ट्रपति चुनाव की तरह इस बार भी अपने उम्मीदवार को ओडिशा में सरकार चला रही बीजेडी का सपॉर्ट मिलने की उम्मीद भी कर रही है। बता दें कि बीजेपी सूत्रों ने कहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार 25 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका रवाना होने से पहले अपना नामांकन-पत्र दाखिल कर सकता है। नामांकन-पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 जून है। वहीं, चुनाव आयोग ने बुधवार को ही 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया।
क्या है बीजेपी की रणनीति
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि शाह ने वेंकैया से खासतौर पर दक्षिण भारत के दलों पर ध्यान देने के लिए कहा है। वहीं, वित्त मंत्री सोशलिस्ट पार्टियों से संपर्क करेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू लीडर नीतीश कुमार से उनके अच्छे संबंध हैं। जेटली जल्द ही नीतीश कुमार से बातचीत कर सकते हैं। वहीं, राजनाथ सिंह शिवसेना, टीएमसी, नॉर्थ ईस्ट के दलों से बात कर सकते हैं। एनडीए के पास लगभग 776 सांसदों और 4120 विधायकों सहित कुल 46.8 पर्सेंट वोट हैं और वायएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीआरएस और आईएनएलडी जैसे दलों के सपॉर्ट से 50 पर्सेंट का आंकड़ा पार कर जाएगा। एनडीए का मकसद राष्ट्रपति चुनाव के लिए ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को अपनी तरफ मिलाना है और तीन मेंबर वाली कमिटी इसी मकसद को हासिल करने में जुटी हुई है। सूत्रों ने बताया कि वही लीडर अगला राष्ट्रपति उम्मीदवार होगा, जिसकी विचारधारा पार्टी की सोच से मिलती होगी।
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