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भोजपुरी कहानिया

अकिला फूआएं अपनी उटपटांग सलाहों के लिए जानी जाती हैं तो बबुआ को क्या देगी सलाह

अकिला फूआएं अपनी उटपटांग सलाहों के लिए जानी जाती हैं तो बबुआ को क्या देगी सलाह
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माओवती फूआ और अकललेस बबुआ

बूआ के पति चूंकि फूफा जी ही कहलाते हैं इसलिए हम भोजपुरी भाषी उनकी पत्नी को फूआ ही कहते हैं और फूआओं के इतिहास पर गौर करने से पता चलता है कि प्रसिद्ध फूआओं में 'अकिला फुआ' का नाम भोजपुरी क्षेत्रों में बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।

ये अकिला फूआएं अपनी उटपटांग सलाहों और हस्तक्षेपों के लिए जानी जाती हैं।

ये मां की दुश्मन और दादी, आजी, ईया की कानफुंकनी चमची होती हैं।

भोजपुरी क्षेत्र की सभी मांओं ने इन लेडी माओवती फूआओं के लिए हजारों गीत गाती रही हैं।

एक नमूना कजरी में लीजिए जब कोई मां किसी पापा से कह रहीं हैं कि-

छोटकी ननदी के बाति ना सहाई पिया

होइ जाई लड़ाई पिया ना

जब करीं हम सिंगार मुंह बनावे बार-बार

करिया हमके बोले अपने कालीमाई पिया

होइ जाई लड़ाई पिया ना

ठीक है, एक और फेमस नमूना लीजिए कि-

हमके मेंहदी लिआ द मोतीलाल से

जाके साइकिल से ना

पिया मेंहदी लिआव छोटकी ननदी से पिसाव

हमरी हथवा में लगा द कांटा कील से

जा के साइकिल से ना.....

सुना है किसी साइकिल वाले पिता के पुत्र ने किसी हाथी वाली फूआ से मेल जोल कर लिया है।

अब जब हमको न उधौ का लेना और न माधौ का देना ही है क्योंकि अपने पास तो अब सुदामा का दस परसेंट चबेना है तो माओवती अकिला फूआ और अकललेस बबुआ के मेल-जोल से हमको का मतलब?

लेकिन इन फूआओं के रिकार्ड को लेकर मैं चिंतित हूं ये जिस भी परिवार में हस्तक्षेप की हैं या अकल लगाई हैं उस परिवार का समूल नाश हुआ है चाहे वह मेघनाद की ही फुआ क्यों न हों। नाश हो गया है फूआ से फुल फेमिली का।

हां हां हम जानते हैं पर ये भी तो देखिए कि होलिका फूआ और हिरण्यकश्यप का क्या हुआ, ठीक है प्रहलाद बच गए थे पर यह तो भक्त भी नहीं है।

मुझको क्या.....

न लेना है और न देना है....

आलोक पाण्डेय

बलिया उत्तरप्रदेश

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