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भोजपुरी कहानिया

हे पँड़ाइन! काहें नही बोल रही हो जी? हेल्लो! ओह! हेल्लो!

हे पँड़ाइन!   काहें नही बोल रही हो जी? हेल्लो! ओह! हेल्लो!
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गज़ब बाड़ू ए मेहरारू! मने नही टॉवर है तो छत पे चढ़ जाती। अब टॉवर कमजोर है तो सरकार को दोष मत देना अबकी अंबानी जियो का लहुरा भाई चलाएगा "जियोह"!

दिन भर में केतना बार फ़ोनवे करते है जी एक्को बार नही ढंग से बतिया पाती हो ,अरे महाराज आपन न सही बाल बच्चा लोग का खबर तो देइये दिया करो बता दे रहें है।

कहे थे फागुन बाद जाना नइहर बाकी हेतना जल्दी चली गई सब गड़बड़ा गया है, काल्ह पंडी जी का फोन आया था ,बोले कथवा सुन ल हमके दिल्ली जाएके बा! त पूछनी ए महाराज दिल्ली काहें ला? त बोले कि मोदी जी को " आदित्यहृदयस्त्रोतम" की दीक्षा देनी है।

दु हजार ऊनइस के इलेक्शन जीते खातिर। हमके त बड़ा जोर हँसि आया उ का पिछले बार परधानी में हमको भी सुनाए थे त हम कइसो 2 भोट से जीते थे । खैर ई सब छोड़ो काल्ह हम कथा त सुनबे करेंगे जाके। बताए थे न शिवाला पर आ तुम तो हो नही अकेल्ले सुनना होगा, कहाँ अबतक तुम्हारे चुनरी में हजमवा बहु हमारा गमछा का गांठ बांधती ! बाकी कवनो बात नाही तुम्हारा उ ललका वाला रुमाल है न उसी में बांध के बैठ जाएंगे। परसाद, नरिवल, कपूर,अगरबत्ती सब कीन लिए है।

फेसबुक पर खाली हमरा मैसेज देखना हउ लोल मत खेलने लगना वरना नेता में तो हमको सोनिया बता दिया। खैर तुमको नही बताएगा काहें से स्वभाव से तुम जोगी जी हो न.........आ हम खड़गे की तरह आपत्ति जाहिर करबे करते है तुम्हारे हर बात पर।कितना बात बोल रहें है बाकी तुम राहुल गांधी बन के सोई जा रही हो..!

का करे ई देश तो नही बकिर हमरे करेजा की राजदुलारी हो ही न , अब तुमपर कइसे कंटेम्प्ट ऑफ हियरा लगा दें....संसद नही है न पाड़े का "हृतसरोज"!

सुनो राजा की महतारी अब सोना कम करो, देखो ई चुनाव तो सर पे आही गया है ,इससे पहले हम राजनाथ जी की तरह कड़ी निंदा के स्वर उठाए तुम खुदही सीज फायर का उल्लंघन मत करना!

ऐसा नही है न! झुठही लड़ रही हो कश्मीर के लिए तुमको पता ही नही हमरे जिनगी का नाम ही भारत है, सब तो तुम्हारा है, पूरा भारत । सब ले लेना लेकिन भारतीय बनके इमरान खान नही। आना लेकिन तुमको बिरियानी नही खीर खिलाएंगे । तुमसे हर समझौता करेंगे बिना किसी मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग के ! कोई सचिव नही होगा हमारे बीच्चे में ,कवनो दस्तावेज भी नही होगा।

क्योंकि तुमको तो सब बुझाता है हमारे दोनो के बीच लोकतंत्र नही राजतंत्र है न! उहो आत्मा के गठबंधन वाला हमने भी लिया था न शपथ संविधान के प्रति नही एकदूसरे के प्रति। राष्ट्रपति नही बल्कि अग्नि के समक्ष। हमको भी तुम्हारे साथ आजीवन सरकार बनाने का पारिवारिक जनादेश मिला था 272+ वाला उहो मोहब्बत का मेनिफेस्टो बना के।

देखो न , कितना बदनाम है ई राजनीति देखी न !

इहाँ भी आगया, इन सब की बातों में मत आना एकदम निर्मल अंतःकरण से जाके उसी को अपना भोट देना जो तुम्हारे "पांड़े" के मोछ को झुकने ना दे । हिंदमहासागर से अटलांटिक तक! ग्रीन लैंड से लेके अंटार्कटिका तक ।

हमरे मोछ का खियाल रखोगी न त एक्को डेग तुम्हारा गलत उठिए नही पाएगा । कर के देख लेना!जेतना नाम लिए न कवनो हम दोनों के सरकार में मंत्री बनने की हैसियत नही रखता........ बस एक्के गुज़ारिश है पँड़ाइन ! कहे? कहें न !

तुम हमरी कैवल्य बन के रहना हम तुम्हारे कौटिल्य बनके ना जाने कितने चन्द्रगुप्त का राज्यारोहण कर देंगे।

" अमन पाण्डेय"

गोरखपुर

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