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भोजपुरी कहानिया

सुनो तिवाराइन !

सुनो तिवाराइन !
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तुमको क्या लगता है ?

तुम हमारी मासूम मोहब्बत के फरकच्चे उड़ाते जावोगी और हम अपनी शुद्धता का प्रमाण देते फिरेंगे ?? तुम कौन भरम पाल रही हो आजकल , या फिर हम ही गफलत गले से लगा बैठे हैं ?

हमको तनिक भी तुम्हारा ई फरेबी चाल चलन न सुहा रहा... ई जो पहले जी ललचा के और अब चकमा पर चकमा दिए जा रही हो न तो हमारा दिल हमारे ही प्रेम के विरुद्ध 'सुकमा' वाला विद्रोह करने लगा है ।

हम ही गलत थे जो भाव चढ़ा दिये तुम्हारा इतना !

वो कहते हैं न कि "जहाँ पेड़ न वहाँ रेड़ प्रधान" बस उहे भंवर में नीलाम हो गये ।

कितने डाढ़ पतवार , गाल्ह - मार खेल के आये हैं तुम्हारे पास ? इसका तनिक भी इल्म है तुमको ? मने चौरासी बीघा में पुदीना हम बोयें औऱ शरबत पियें तुम्हारे नयके इयार लोग ??

मने चाहती का हो तुम ? उ पुदीना भी ले जाएं और हम उफ़्फ़ तक भी न बोलें ? मने इतना मेहरबान ??

भक रे ससुर फूटी किस्मत !

एक उ थी गोरकी जो हमर प्रेम का क-मंडल तोड़ गई और एक तुम हो जो क-मंडल के साथ साथ हाथ भी तोड़ गई । इतनी बेरहम तो बकरा भी न कटता होगा जितने हम ।

ई जो कमरिया इठला इठला के डिस्को 8 बना रही हो न गांव जवार में घूम घूम के तो सोच लेना हम ही भाव उछाले हैं तुम्हारा, कौनो शेरू -भीमू- चोमू नहीं... सनद रहे !

एक बात और तुम्हारे उ नये चितकबरे आशिकों के लिये ...

हम नोटा के तो चक्कर मे बाद में पड़ते हैं पहले सीधे लोटा औऱ फटहा लंगोटा बदलते हैं बुरबक।

हम बिहारी छौड़ा हूँ , जो ठानता हूँ वो ठन जाता है , इसे धमकी नहीं एक बिहारी का 'पुच्ची' समझ बाया गाल आगे कर देना, वो क्या है न कि कभी हम रणवीर भी थे !

बाकि हम दीवाने तो तुम्हारे कल भी थे आज भी हैं... तुम्हारी लचक... हाय घायल कर जाती है... बस एके गुज़ारिश है... हो सके तो अपने मोहब्बत का रत्ती भर आरक्षण हमारे नाम कर दो...❤

देखो न , अतुल भइया कह रहे कि

'ना कवनो हाट ना बजरिया से होला

उमरिया के दोष ह नजरिया से होला'

संदीप तिवारी 'अनगढ़'

"आरा"

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