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भोजपुरी कहानिया

हसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी : आलोक पाण्डेय

हसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी : आलोक पाण्डेय
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नल पर के नहान वाला भिडिओ के अपार सफलता से गील हुआ, ऊ हीरउवा सुने हैं कि ए बेरी साइकिल पर से भदाक सेना गीरा है। ई घटना इस बात को सीध करता है कि बिहार एक गरीब प्रांत है, आतना गरीब प्रांत है कि उहां के मुख्यमंत्री रहि चुकी माई आ मुख्यमंत्रिए रहि चुके बाप के सफल चारा घोटाला कांड के बादो अतना रुपिया नहीं कमा पाया लोग कि अपना एमे ले भले नहीं पढ़ा, बाकी तबो एमेले हुआ बेटा खातिर एगो साइकिल नहीं कीन सके, खरीद सके जिसको सीख के बेचारा रोड पर चला सके। आतना गरीब प्रांत कि का कहें लोकतंत्रो में भी गरीबों वाला ही चुनाव चिन्ह पाया है ई प्रांत, लालटेन, त तीर धनुष, त हंसुआ हथउरा आदी।

अब आप कहेंगे कि साइकिल पर से कौन नहीं गिरा है, इसमें हंसने का, का बात है? तो हम कहता हूं की बात है, जब हम अपनी साला की बिआह में बिहार गए थे तो हमरे खास आपन मेहरारू, हमरे पइसा के कीनल साड़ी, गहना पहिर के मटकोड़ा में हमरा सुघर-सुघर सालिअन का बांहि में बाहिं डाल के आगा-आगा झूम-झूम के गाते जा रही थी आ हम ओ चैन तोड़ू दृश्य के देखते साइकिल पर से भहरा के गिर गए थे आ सब साली लोग धउर के आया आ हमके अपनी कोरा में उठा के गतरे-गतर अइसा झारा था जेवना से हम आजु ले एकदम हरिहर हैं बाकी हमार खास आपन जनाना 'मुनि मति तीर ठाढ़ अबला-सी' का माफिक अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई आ उलुटे एगो टनाका लहरा निकाली थी की- "साइकिल के टूटल बा चयनवा...गीरल बा सजनवा ए सखी... ससुरा में रहितीं त झारि के उठइतीं... नइहर में लागेला सरमवा... कि गीरल बा सजनवा ए सखी।"

त आजु उसी का बदला कढ़ाया है। बाकी हम कुछ नहीं बोलेंगे, चल्हाक आदमी ससुरारि का ममिला में चुपे रहता है साला तेज हुआ तो अपना बहन का भी बोझा सम्हारेगा आ जो साला बऊक हुआ तो सरहज हाथ लगेगी। हमको का मतलबे है।

आलोक पाण्डेय

बलिया उत्तरप्रदेश

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