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भोजपुरी कहानिया

पापा कथा सुनवले रहनी...

पापा कथा सुनवले रहनी...
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अंग्रेजी जबाना रहे, आ गरीबन पर होखे वाला अत्याचार चरम पर रहे। ओहि दिन में अपने बिहार के एगो भोजपुरिया जवान जवन बड़ी निमन कवि आ गायक रहे उ जाली नोट छापे के कारखाना लगवले रहे। नोट छाप के ओह पैसा से उ जवान गरीबन के बड़ी मदत करस। अंग्रेज सरकार हरान रहे कि ई जाली नोट आ कहाँ से जाता।
धीरे धीरे ओह जिला के कलक्टर के शक हो गइल कि हो न हो ई नोट इहे छपवावता। बाकिर कलक्टर का लगे ए बात के कवनो सबूत ना रहे एह से उ चुप रहे। चुप रहला के एगो कारन इहो रहे कि वो गायक के समाज में बड़ी प्रतिष्ठा रहे। आखिर में कलक्टर एगो भेदिया के उनका पीछे लगवलस। जासूस के नाम रहे गोपिचन। गोपिचन आ के गायक किहाँ नोकर बन के रहे लग़ले। गोपिचन अतना मन से सेवा करस कि कुछे दिन में उ गायक के भरोषा जीत लिहलें। गायक मगहिया पान के सवखीन रहलें आ उ रोज एगो कड़कड़िया नोट दे के उनका के बाजार से मगहिया पान ले आवे खातिर भेजस। गोपिचन चुपके से उ नोट सरकारी बिभाग में पहुचा देस जहाँ जाँच में बुझा गइल जे उनकर दिहल सब नोट नकली ह।
अब खाली ई पता लगावे के रहे जे उ नोट छापत कब बाड़ें काहें कि गोपिचन दिन भर उनुका साथही रहस बाकि कबो उ छापत देखलें ना।
कुछ दिन बाद चइत के पूर्णिमा आइल जहिया गायक के दुआर पर अठजाम होखे। ओहिदिन दुआर पर आठजाम होत रहे बाकिर गायक के कहीं पता ना रहे। लोग के बतावल जात रहे जे उंहा का हर चइत पूर्णिमा के रसोइया घर में बइठ के मन्त्र जाप करिलें।
गोपिचन का शक भइल त उ रसोइया घर में झांक लेहले बाकिर गायक उंहवो ना भेंटइले। अब गोपिचन का ई बिस्वास हो गइल जे उ नोट छापत बाड़े। बड़ी मेहनत क के गोपिचन पता लगा लिहलें जे गायक घर के निचे बनल तलघर में बइठ के रात भर नोट छापत रहले हां।
अब गोपिचन का एक बरिस ले बाट जोहे के रहे कि कब अगिला चइत के पूर्णवासि आवे जे उ गायक के पकड़वा के आपन काम ख़तम करस।
साल भर बीत गइल आ अगिला चइत पूर्णवासि के दिने गोपिचन के भेद बता देहला से अंग्रेज ओह गायक के नोट छापत में गिरफ्तार क लेहले सन।
वो गायक के नाम रहे महेंदर मिसिर....
जब पुलिस महेंदर मिसिर के पकड़ के ले जात रहे तब सारा जवार के गरीब गुरबा के रोअल देख के गोपिचन के अतना दुःख भइल जे उ भेदिया के काम छोड़ दिहलें।
बाद में कलक्टर के लगे जब बनारस आ कलकत्ता के सगरी गायक गायिका तवायफ कुल्ह पहुच के पैरबी आ क्षमा के गुजारिस कइल लोग त कलक्टर उनका के हिदायत दे के छोड़ दिहलस। बाकिर एह घटना से दुखी महेंद्र मिसिर जाली नोट छापल छोड़ दिहलें।
ओहि घरी उ आपन गीत लिखलें- मीठी मीठी पनवा खियावे गोपिचनवा हमके भेजावे जेहलखनवा हो राम.....
हम नइखीं जानत जे एह कहानी में केतना सांच बा केतना झूंठ बा, बाकिर हमरा जीवन के सबसे बड़ हीरो पापा के सुनावल ई काथा लईकाईयें में महेंदर मिसिर के हमार हीरो बना देहलस।
एगो गायक से अधिका हम उंहा के एगो स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आदर देनी।
आज उंहा के जन्मदिन पर उंहा के नमन......

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
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