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भोजपुरी कहानिया

"आदमी के शरीर में बेहाया जनमल बाड़ सन भाई एकनिये के कुफुत से, कुहकत बाड़ी सरस्वती माई"

आदमी के शरीर में बेहाया जनमल बाड़ सन भाई  एकनिये के कुफुत से, कुहकत बाड़ी सरस्वती माई
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गांव के सब लईकन के जुटान भईल बा। कुछ जवान, कुछ अधेड़ अउरी कुछ बुढ लोग भी जुटल बा। सरस्वती पूजा के लेके इ बैठक बा। खास बात इ बाकि विद्या के देवी के पूजा खातिर जुटल अधिकांश लोग अयीसन बा जे यात पढ़ाई से रिटायर हो गईल बा या जब पढ़ाई के समय रहे त सरस्वती माई से छतीस के आकड़ा रहे। इहे हाल कुछ शामिल पढ़निहार लोग के भी बा। साल भर विद्या के माई से दूरी रहेला पर माई के पूजा खातिर सब एकजुट बा। गांव के उभरत मुखिया अउरी नौजवान कुल के नेता हरिदर प्रस्ताव रखतारे की सरस्वती पूजा पिछला साल से भी जोरदार तरीका से मनी। पूरा जिला जवार में गांव के नाम के थेई थेई बज जाई। सब कार्ययोजना बन जाता। केकरा से केतना चंदा लेबे के बा इ तय हो जाता अउरी फेरु अगिला सुबह लईका कुल के दल रस्सी अउरी रसीद लेके सड़क पर उत्तर जाता।
पहिला नंबर आवता शेर सिंह ट्रेवल्स के चार सौ सात के। लईकन के भीड़ देख के ड्राइवर गाडी रोक देतारे। ड्राइवर जान पहचान के ही बाड़े। राम राम के बाद हरिंदर आपन बात रखतारे -
माई के पूजा में तहरो चाही सहयोग
माई के किरपा रही त भागी सब रोग
ड्राइवर लक्ष्मन सिंह ढेर पढ़ल लिखल नईखन पर तब उ चौक जातारे। इ विद्या के देवी हई। इ हेल्थ डिपार्टमेंट कहिया से सँभारे लगली।
खैर उनका का। लईका कुल ५०० के रसीद फाड़ के दे देतार सं। उ आनाकानी करतारे। एइजा से लेके २० गो गांव बा। सबके ५०० दिहे तब त बिला जईहे। उ १०० से ज्यादा देबे के तइयार नईखन। धीरे धीरे बहस बहसि होखे लागता। फेरु हरिंदर कहतारे -
चुपचाप शांति से कर तू हमनी के सहयोग
मूड अगर बिगड़ी त क देब बल परयोग
लक्ष्मन सिंह जानतारे कि झगड़ा से काम ना चली। रोज चार सौ सात एहि रास्ता से ले जाए के बा। आखिर में थोड़ा बहुत मोल भाव के बाद २५० में बात फरिया जाता।
तीन चार दिन में वसूली के काम पूरा हो जाता। उम्मीद से ढेर पईसा वसूलाइल बा। सब केहू एके सरस्वती माई के किरपा बतावता।
फेरु मूर्ति रखाता अउरी धूम धाम से पूजा होता। फेरु सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन होता। एक दिन मोड़ के आर्केष्टा के कार्यक्रम त एक दिन लडुआ के नाच अउरी एक दिन विडियो के प्रोग्राम। गौर करे लायक बात इ बाकि विद्या के देवी के पूजा से विद्या अउरी शील दुनु नदारद बा।
फेरु माई के बिदाई के भी दिन आ जाता। भारी मन से सब बेटा लोग विसर्जन के तैयारी करता। बोख़ारन के दोकान से टॉनिक पहिले मंगा लिहल बा। सब केहू के बैच भी लागल बा। माई के धूमधाम से विसर्जन खातिर मोड़ के मशहूर रिंकी आर्केष्टा बोलावल बा। टॉनिक पीके सब विद्यार्थी उत्साह में बाड़े। पहिले से दुगुना ऊर्जा महसूस करता लोग। वीरेंदर में ट्रेक्टर के एक साइड में माई के मूर्ति रखा जाता अउरी बाकी के जगह आर्केष्टा वाला से भर जाता। माई के बिदाई में रिंकी अउरी ओकरा ग्रुप के साथी कुल खेसारी, पवन सिंह, बिंदु कल्पना जइसन माई के सेवक महान गायक लोग के गाना पर सांस्कृतिक कार्यक्रम चालू के देतार सं। ट्रेक्टर के निचे हरिंदर के अगुवाई में गांव लईका कुल भी खूब कला देखावतार सं। टॉनिक खूब असर कईले बा। केहू नागिन डांस करता त केहि सामियाना चोप खोजता।
धीरे धीरे क के मूर्ति विसर्जित जगह पहुच जाता। बड़ा भीड़ बा ओइजा। जगह जगह से मूर्ति आयिल बा। टॉनिक के असर सब पे बा। ध्यान देबे वाला बात इ बा की विद्या अउरी बुद्धि के देवी के पूजा से इ दुनु चीज गायब बा।
पहिले हमार माई विसर्जन त पहिले हमरा माई के, एके लेके बहस शुरू जाता हरिंदर अउरी बगल वाला गांव के लईका कुल के बीच।
पहिले बहसा बहसि, फेरु फायटा फईटी अउरी फेनु ईट पत्थर फेको प्रतियोगिता। कुछ लोग के हाथ में लाठी भी बा अउरी फेरु मूडी फोरा फोरी। चारु ओर भगदड़ बा। दुनु गांव के लोग के केहू कपार फूटता त केहू के टंगरी टूटता।
फेरु पुलिस आवतिया अउरी जे पकड़ाता ओके पकड़ के ले जातिया। मार भईल बा त केस त होखबे करी।
माई सरस्वती के मूर्ति धीरे धीरे पानी में समाहित हो रहल बा। ओइजा मौजूद भोजपुरी कवि आहत होके कहतारे -
आदमी के शरीर में बेहाया जनमल बाड़ सन भाई
एकनिये के कुफुत से, कुहकत बाड़ी सरस्वती माई
ऐ नालायकन के विद्या अउरी बुद्धि कहिया भेटाई
इनका ना चाही पूजा पाठ, हार फूल मिसरी मलाई
छोड़ द सन माई के उनका हाल पर त होई भलाई
साल भर जो पढ़ सं त धन्य हो जईहे सरस्वती माई


धनंजय तिवारी
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